भारत के लोग ट्रेन से सफर करना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं. दरअसल लंबी दूरी तय करनी हो तो ट्रेन सबसे किफायती ऑप्शन होने के साथ ही आरामदायक भी होती है और फैमिली के साथ सफर करना हो तब तो ट्रेन ही बेस्ट होती है. विंडो सीट मिल जाए तो ट्रेन का सफर सुहाना बन जाता है. हरे-भरे जंगलों से जब ट्रेन गुजरती है तो ऐसा लगता है मानों ये हरियाली हमारे साथ चल रही हो और रास्ता कमाल का लगता है और जब बात पहाड़ों के ट्रेन ट्रैक को हो तो नजारे शानदार होते हैं. आज के डिजिटल युग में हर कोई चाहता है कि वह हर खूबसूरत चीज को अपने फोन के कैमरे में कैद कर ले, लेकिन उसके लिए कैमरा स्टिल होना चाहिए, लेकिन ट्रेन की रफ्तार में ये संभव नहीं होता है. फिलहाल एक ऐसी ट्रेन हो जो खूबसूरत वादियों से गुजरती है और चलती भी बेहद स्लो है.
सोचिए अगर ट्रेन ऊंचे पहाड़ों के बीच से गुजर रही हो और हर तरफ मनमोहक दृश्य दिखाई दे रहा है साथ ही आपकी ट्रेन की रफ्तार में लगभग साइकिल से भी कम हो तो सफर का एक अलग ही आनंद आएगा. खासतौर पर अगर आप ब्लॉगर हैं तो इस ट्रेन में बैठकर जाना आपके लिए और भी ज्यादा खास होगा. चलिए जान लेते हैं ट्रेन के बारे में.
कौन सी है ये ट्रेन?पहाड़ों की खूबसूरत वादियों के बीच से धीमी गति में सफर तय करने वाली ट्रेन के नाम है ‘मेट्टुपालयम-ूऊटी पैसेंजर ट्रेन’, ये ‘नीलगिरि माउंटेन रेलवे’ द्वारा चलाई जाती है. इसे टॉय ट्रेन भी कहा जाता है. ये तमिलनाडु की एक मात्रा रेलवे ट्रैक है जो मेट्टुपलायम से ऊटी तक चलती है. टूरिस्ट के बीच ये ट्रेन इसलिए यही लोकप्रिय है, क्योंकि ये खूबसूरत दृश्यों को देखने का बेहतरीन मौका होता है.
कितनी रहती है ट्रेन की स्पीड?ट्रेन की स्पीड की बात करें तो ये 46 किलोमीटर की दूरी तकरीबन 5 घंटे में पूरा करती है जो एक नॉर्मल ट्रेन के मुकाबले काफी ज्यादा है. इस हिसाब से ये ट्रेन 10 से 15 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती है. एक साइकिल से औसतन 25 किलोमीटर का सफर एक घंटे में तय किया जा सकता है यानी इस ट्रेन की स्पीड साइकिल से भी कम है, इसलिए आप खूबसूरत वादियों को निहारने से लेकर फोटो क्लिक करने और वीडियो भी रिकॉर्ड आसानी से कर सकते हैं.
यूनेस्को धरोहर है ये ट्रेनइस ट्रेन को 1908 में अंग्रेजों ने शुरू किया था और आज भी ये ट्रेन संचालित होती है. साल 2005 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया है. ये ट्रेन गेज रेलवे लाइन पर चलती है, जिसकी ढलान काफई ज्यादा तेज है. यही वजह है कि ट्रेन की स्पीड को कम रखा जाता है. इसके ट्रैक पर 250 पुल और 208 मोड़ के साथ ही 16 सुरंगे भी पड़ती हैं.
बॉलीवुड में भी दिखी ये ट्रेन1998 में में आई फिल्म ‘दिल से’ में भी ये ट्रेन दिखाई गई है. मलाइका अरोड़ा का गाना छैंया-छैंया तो आपको याद होगा ही. इस गाने में एक्ट्रेस और शाहरुख खान को ट्रेन की रूफ पर डांस करते देखा गया था. ये नील माउंटेन रेलवे की ही ट्रेन है. ये गाना आज भी काफी पसंद किया जाता है.