इंग्लैंड में भारत की मेंस सीनियर टीम का कमाल टेस्ट सीरीज में दिखना भले ही अभी बाकी हो. लेकिन, वहीं पर खेल रहीं भारतीय महिलाओं का जलवा बरकरार है. उन्होंने इंग्लैंड की महिला टीम के खिलाफ T20 सीरीज का लगातार दूसरा मैच जीत लिया है. भारत के लिए दूसरे T20 में जीत 24 साल की उस खिलाड़ी के दमदार खेल की बदौलत संभव हो सकी, जिसे स्मृति मंधाना के हाथों डेब्यू कैप मिली थी. हम बात कर रहे हैं अमनजीत कौर की, जिनके ऐतिहासिक ऑलराउंड प्रदर्शन का नतीजा है कि भारत ने सीरीज में 2-0 की बढ़त बना ली है.
भारत ने दूसरे T20 में इंग्लैंड को 24 रन से हरायाभारतीय महिलाओं ने इंग्लैंड को दूसरे T20 में 24 रन से हराया. पहले खेलते हुए भारतीय टीम ने 20 ओवर में 4 विकेट पर 181 रन बनाए. जवाब में इंग्लैंड की टीम 20 ओवर के बाद 7 विकेट खोकर 157 रन ही बना सकी. इससे पहले भारत और इंग्लैंड के बीच जो पहला T20 खेला गया था, उसमें टीम इंडिया की जीत स्मृति मंधाना के बल्ले से निकली 112 रन की दमदार पारी की वजह से संभव हो सकी थी.
स्मृति मंधाना ने जिसे डेब्यू कैप दिया, उसने रचा इतिहासवैसे ये भी कमाल की बात है कि पहले T20 की प्लेयर ऑफ द मैच स्मृति मंधाना बनीं, जबकि दूसरे T20 में वो खिलाड़ी जिसे स्मृति मंधाना के हाथों डेब्यू कैप मिली थी. अमनजीत कौर ने 19 जनवरी 2023 को जब T20 मैच के जरिए ही इंटरनेशनल डेब्यू किया था, तब उन्हें स्मृति मंधाना ने ही कैप पहनाई थी. अब उन्होंने इंग्लैंड में इतिहास रचते हुए भारत को जीत दिलाई है. उन्होंने T20 इंटरनेशनल में जो करके दिखाया है वो आज तक इस फॉर्मेट में किसी भी दूसरे भारतीय खिलाड़ी ने नहीं किया.
अमनजोत कौर का ऐतिहासिक कमालअब सवाल है कि अमनजीत कौर ने ऐतिहासिक कमाल किया क्या? इसका ताल्लुक दरअसल मैच में किए उनके कमाल से है. अमनजोत कौर इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे T20 में भारत की सबसे सफल बल्लेबाज रहीं. उन्होंने 40 गेंदों का सामना करते हुए 157.50 की स्ट्राइक रेट से नाबाद 63 रन बनाए. इस दौरान उन्होंने 9 चौके जमाए. अमनजोत ने बल्लेबाजी से तो कमाल किया ही, इसके बाद गेंदबाजी में 3 ओवर में 28 रन देकर 1 विकेट भी लिया. T20 इंटरनेशनल में 60 रन बनाते हुए कम से कम एक विकेट लेने वाली वो पहली भारतीय महिला क्रिकेटर हैं.
पिता कारपेंटर, क्रिकेट के लिए दर-दर भटकींइंग्लैंड के खिलाफ दूसरे T20 में भारत की जीत में अमनजोत कौर प्लेयर ऑफ द मैच तो बनीं मगर इनके यहां तक पहुंचने का संघर्ष आसान नहीं रहा. अमनजोत कौर के क्रिकेट की शुरुआत गली में लड़कों के साथ खेलने से हुई थी. स्कूल में भी अमनजोत लड़कों के साथ ही क्रिकेट खेलती थीं. अमनजोत के पिता भूपिंदर सिंह एक मामूली कारपेंटर थे. मगर उसके बाद भी उन्होंने अपनी बेटी के क्रिकेट जुनून को परवान चढ़ने से नहीं रोका. भूपिंदर सिंह ने 15 साल की उम्र में अपनी बेटी का दाखिला क्रिकेट एकेडमी में कराया. इतना ही नहीं उसकी क्रिकेट की बेहतरी के लिए शहर भी बदले. और, फिर आखिरकार चंडीगढ़ आकर अमनजोत को सही ट्रेनिंग मिली. अमनजोत के पिता उन्हें हर रोज एकेडमी छोड़ने और लेने जाते थे. इसके लिए उन्हें अपने कामों में भी कटौती करनी पड़ी. आज पिता के उसी त्याग और बलिदान का फल है कि बेटी ने इंग्लैंड में टीम इंडिया को ना सिर्फ जिताया है बल्कि खुद एक इतिहास भी रचा है.