भारत की धरती रहस्यमय और चमत्कारी मंदिरों से भरी पड़ी है, जहां आस्था और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। ऐसा ही एक अलौकिक मंदिर मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में स्थित है — श्री सिद्धनाथ महादेव मंदिर, जिसकी स्थापना लगभग 375 साल पहले हुई थी। लेकिन इस मंदिर की पहचान सिर्फ इसकी प्राचीनता से नहीं, बल्कि यहां रोज़ रात भगवान शिव और माता पार्वती द्वारा चौसर खेलने की मान्यता से है।
सांप की समाधि पर विराजमान शिवलिंगइस मंदिर की स्थापना की कहानी ही इसे अद्वितीय बनाती है। मंदिर के पुजारी हरीश गोस्वामी के अनुसार, इसका निर्माण 1651 में मल्लीवाल परिवार द्वारा करवाया गया था। खास बात यह है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग किसी मानव की नहीं, बल्कि एक सांप की समाधि पर स्थित है। मल्लीवाल परिवार की एक महिला के गर्भ से चार संतानों ने जन्म लिया, जिनमें से एक सर्प योनि में जन्मा था। परिवार ने उसे भी अपनी संतान मानकर पाला और 'सिद्धू' नाम दिया। मृत्यु के बाद सिद्धू को उसकी जमीन में दफनाया गया और उसकी समाधि पर शिवलिंग स्थापित किया गया। इसी कारण इस मंदिर का नाम पड़ा श्री सिद्धनाथ महादेव मंदिर।
ओंकारेश्वर जैसी मान्यता: शिव-पार्वती का रात्रि विश्रामश्री सिद्धनाथ महादेव मंदिर को लेकर सबसे अद्भुत मान्यता यह है कि, भगवान शिव तीनों लोकों का भ्रमण कर रात में इस मंदिर में माता पार्वती के साथ विश्राम करने आते हैं। हर रात रात्रि 10 बजे, शयन आरती के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं, और गर्भगृह में चौसर और पांसे की बिसात सजा दी जाती है। सुबह 5 बजे, जब मंदिर के द्वार खोले जाते हैं, तो चौसर बिखरी हुई मिलती है — मानो किसी ने पूरी रात खेला हो।
पुजारियों और श्रद्धालुओं ने देखे चमत्कारपुजारी बताते हैं कि एक बार सुबह मंदिर खुलने पर उनकी पत्नी को गर्भगृह में एक विशाल सांप फन फैलाए बैठा दिखाई दिया, जो कुछ ही क्षण में अदृश्य हो गया। इसे साक्षात भगवान शिव का रूप माना गया। स्थानीय श्रद्धालु महेंद्र भावसार का कहना है कि वे पिछले 25 वर्षों से मंदिर में नियमित रात्रि आरती में शामिल होते आ रहे हैं और हर सुबह वे चौसर को बिखरा हुआ ही पाते हैं, जबकि रातभर मंदिर पूरी तरह से बंद रहता है।
वैज्ञानिकों के परे है यह रहस्यमंदिर में न तो रात को कोई जाता है और न ही गर्भगृह में कोई हलचल होती है, इसके बावजूद सुबह होते ही चौसर की स्थिति बदल जाती है। यह घटना न केवल श्रद्धालुओं के लिए चमत्कारी है, बल्कि वैज्ञानिक सोच रखने वालों के लिए भी अबूझ पहेली बनी हुई है।
आस्था का केंद्र बना हुआ है मंदिरइन चमत्कारी घटनाओं और मान्यताओं के चलते श्री सिद्धनाथ महादेव मंदिर केवल खरगोन या मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि दूर-दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। यहां की रात्रिकालीन शयन आरती और चौसर पर शिव-पार्वती की उपस्थिति की अनुभूति श्रद्धालुओं के मन में गहरी आस्था जगाती है।