उन्होंने कहा कि ओवैसी उनके पुराने मित्र हैं, लेकिन दोनों की विचारधाराएं बिल्कुल अलग हैं, जैसे नदी के दो किनारे, जो कभी मिल नहीं सकते.
राष्ट्रीय सुरक्षा पर ओवैसी से एकता, बाकी मुद्दों पर मतभेद
निशिकांत दुबे ने कहा कि 'ओवैसी और मेरी विचारधाराएं अलग हैं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा, भय, भूख, गरीबी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर हम एकजुट हैं. इन विषयों पर ओवैसी मुझसे भी अधिक आक्रामक हैं.' उन्होंने स्पष्ट किया कि आंतरिक मसलों, खासकर वक्फ बोर्ड जैसे मामलों पर दोनों के विचार बिल्कुल विपरीत हैं. ओवैसी जहां मुस्लिम समुदाय को विशेष अधिकार देने की वकालत करते हैं, वहीं दुबे खुद को उसके घनघोर विरोधी बताते हैं.
'जय फिलिस्तीन' नारे पर दी प्रतिक्रिया
इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि ओवैसी ने शपथ ग्रहण के दौरान 'जय फिलिस्तीन, जय भीम' का नारा दिया था और अब 'जय हिंद' तथा 'भारत की अखंडता जिंदाबाद' जैसे नारे लगा रहे हैं, तो क्या उनकी ओवैसी के प्रति धारणा बदली है? इस पर दुबे ने कहा कि 'जय फिलिस्तीन' कहना शपथ के दौरान अनुचित था, उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए था. हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत सरकार 1948 से 'टू नेशन थ्योरी' को मान्यता देती है, जिसमें इजरायल और फिलिस्तीन दोनों अलग-अलग देश हैं. उन्होंने साफ किया कि भारत हमास का विरोधी है, फिलिस्तीन का नहीं.
राजनीतिक मतभेद के बावजूद मित्रता बरकरार
निशिकांत दुबे ने कहा कि ओवैसी से उनकी दोस्ती पहले से है और अब भी कायम है, लेकिन विचारधारा में बड़ा अंतर है. उन्होंने कहा कि 'जो अंतर है, वह ये है कि ओवैसी प्रो-मुस्लिम राजनीति करते हैं और उसमें जो आक्रामकता है, वह कई बार असहज करती है.' उन्होंने आगे कहा कि आंतरिक मामलों जैसे वक्फ बोर्ड या मुस्लिम आरक्षण जैसे मुद्दों पर वह और ओवैसी कभी एकमत नहीं हो सकते.
विदेशी दौरे में साथ रहे दोनों नेता
इंटरव्यू के दौरान जब उनसे पूछा गया कि हाल ही में एक विदेशी प्रतिनिधिमंडल में वे और ओवैसी साथ थे, तो कैसा रिश्ता रहता है? इस पर दुबे ने जवाब दिया, 'मैंने पहले ही कहा, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर हम दोनों पूरी तरह एकमत रहते हैं. वहां ओवैसी मुझसे भी ज्यादा मुखर होते हैं. ऐसे मसलों पर हम दोनों एक साथ खड़े होते हैं.'