फ्रॉड लोन अकाउंट आरोप के मामले में अनिल अंबानी का एसबीआई को जवाब, कह दी बड़ी बात
TV9 Bharatvarsh July 03, 2025 06:42 PM

उद्योगपति अनिल अंबानी के लिए मुसीबतें बढ़ गई हैं. उनकी दिवालिया हो चुकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) को लेकर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने बड़ा कदम उठाते हुए उसके लोन अकाउंट को फ्रॉड की श्रेणी में डाल दिया है. इस फैसले पर अनिल अंबानी के वकील ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे RBI के नियमों और अदालत के आदेशों का उल्लंघन बताया है.

क्या है मामला?

SBI का कहना है कि 2016 में फंड्स का गलत इस्तेमाल किया गया था. इसी के आधार पर RCom के लोन को फ्रॉड घोषित किया गया है. बैंक ने इसके लिए अनिल अंबानी को भी नोटिस भेजा है और उनका नाम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को रिपोर्ट करने की बात कही है.

वकील का आरोप: एकतरफा फैसला

अनिल अंबानी के वकील ने कहा कि SBI का फैसला चौंकाने वाला और एकतरफा है. यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है. उनका दावा है कि बैंक ने ना तो कोई सुनवाई का मौका दिया और ना ही पिछले एक साल से उनके जवाबों पर कोई प्रतिक्रिया दी.

RBI के नियम क्या कहते हैं?

जब कोई बैंक किसी खाते को फ्रॉड घोषित करता है, तो उसे21 दिनों के भीतर RBI को सूचना देनी होती है. साथ ही, मामला CBI या पुलिस को भी भेजना होता है.

कितना था कर्ज?

रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसकी सब्सिडियरी कंपनियों ने बैंकों से कुल ₹31,580 करोड़ का कर्ज लिया था. फिलहाल कंपनी लिक्विडेशन प्रक्रिया से गुजर रही है. RBI के दिशानिर्देशों के अनुसार, जिन प्रमोटर्स या डायरेक्टर्स पर फ्रॉड का आरोप होता है, वे 5 साल तक किसी भी बैंक या सरकारी फाइनेंस संस्था से लोन नहीं ले सकते, जब तक कि वे पूरी रकम चुका न दें.

कहां हुआ पैसों का इस्तेमाल?

SBI की रिपोर्ट बताती है कि लोन की रकम का बड़ा हिस्सा अलग-अलग जगहों पर ट्रांसफर किया गया:

  • ₹13,667 करोड़ (44%) पुराने कर्ज चुकाने में इस्तेमाल
  • ₹12,692 करोड़ (41%) ग्रुप की ही कंपनियों को भुगतान
  • ₹6,265 करोड़ अन्य बैंकों के लोन चुकाने में
  • ₹5,501 करोड़ जुड़े हुए पक्षों को भुगतान, जो अप्रूव्ड उद्देश्यों से जुड़े नहीं थे

इसके अलावा, देना बैंक से लिए गए ₹250 करोड़ का इस्तेमाल भी गलत बताया गया. रकम को इंटर-कॉरपोरेट डिपॉजिट (ICD) के रूप में दूसरी कंपनी को ट्रांसफर किया गया, और बाद में कहा गया कि इसका उपयोग विदेशी कर्ज चुकाने में हुआ.

फंड के दुरुपयोग का आरोप

रिपोर्ट में कहा गया कि लोन की रकम को कंपनी के इरादों के अनुरूप इस्तेमाल नहीं किया गया. कई बार रकम को पहले एक ग्रुप कंपनी के अकाउंट में डालकर फिर आगे ट्रांसफर किया गया, जिसकी कोई स्पष्ट वजह नहीं बताई गई.

कुल मिलाकर, RCom, RITL और RTL ने ₹41,863 करोड़ के इंटर-कॉरपोरेट ट्रांजैक्शन किए, जिनमें से ₹28,421 करोड़ के ही इस्तेमाल की जानकारी सही तरह से उपलब्ध है.

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