3 जुलाई 2025 को हफ्ते के चौथे कारोबारी दिन गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखी गई। अमेरिका और वियतनाम के बीच हुई व्यापारिक डील और भारत-अमेरिका के संभावित व्यापार समझौते की उम्मीदों ने निवेशकों को जोश से भर दिया है। इसका असर एशियाई बाजारों पर भी पड़ा और भारतीय शेयर बाजार में सकारात्मक रुझान देखा गया।
सेंसेक्स-निफ्टी ने भरी उड़ानशुरुआती कारोबार में बीएसई सेंसेक्स 230 अंकों की छलांग लगाकर खुला और कुछ ही देर में यह 300 अंकों तक ऊपर चला गया। वहीं, एनएसई का निफ्टी 50 भी 25,500 के ऊपर खुला, जो बाजार के लिए एक मजबूत संकेत है। यह उछाल वैश्विक संकेतों, भारत-अमेरिका के व्यापारिक संबंधों और घरेलू पीएमआई डेटा की उम्मीदों पर आधारित है।
ऑटो और मेटल सेक्टर में उछालआज के कारोबारी सत्र में सबसे ज्यादा तेजी ऑटो और मेटल सेक्टर के स्टॉक्स में देखने को मिली। दोनों सेक्टर्स का इंडेक्स लगभग 0.5% ऊपर गया है। मेटल कंपनियों के बेहतर एक्सपोर्ट आउटलुक और ऑटो कंपनियों के मजबूत बिक्री आंकड़ों ने इस उछाल को मजबूती दी है। इसके साथ ही आईटी और फार्मा सेक्टर में भी लगातार दूसरे दिन मजबूती देखने को मिल रही है।
कुछ शेयरों में गिरावट भीहालांकि बाजार की इस तेजी के बीच कुछ शेयरों में गिरावट भी देखी गई है। Nykaa के शेयरों में करीब 3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो निवेशकों के लिए थोड़ी चिंता की बात है। वहीं, डीमार्ट के स्टॉक्स में भी लगभग 5% की गिरावट आई है। डीमार्ट की तिमाही वित्तीय रिपोर्ट बाजार की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी, जिससे निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी।
ग्लोबल मार्केट का हालअंतरराष्ट्रीय बाजारों की बात करें तो एशिया-पैसिफिक बाजारों में मिश्रित रुख देखने को मिला है। जापान का निक्केई इंडेक्स नीचे आया है, जबकि टॉपिक्स में भी 0.12% की गिरावट हुई है। इसके उलट दक्षिण कोरिया का कोस्पी इंडेक्स 0.85% ऊपर गया है, जो वहां की आर्थिक मजबूती का संकेत देता है।
ऑस्ट्रेलिया का ASX 200 भी 0.42% नीचे गया, जबकि अमेरिकी टेक इंडेक्स नैस्डैक कंपोजिट ने 0.94% की बढ़त दर्ज की है। डाउ जोन्स में मामूली गिरावट दर्ज की गई है, यह 10.53 अंकों की गिरावट के साथ 44,484.42 पर बंद हुआ। वहीं, S&P और नैस्डैक 100 से जुड़े फ्यूचर्स में हल्की तेजी देखी गई है।
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की उम्मीदबाजार में तेजी की एक बड़ी वजह भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौता है, जिसके तहत दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात में छूट और निवेश को बढ़ावा मिलने की संभावना है। यह डील भारत की टेक, ऑटो और फार्मा इंडस्ट्री के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है।