नालंदा जिले की राजनीति में गुरुवार को एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया, जब भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के वरिष्ठ नेता और नालंदा विधानसभा क्षेत्र से पूर्व प्रत्याशी कौशलेंद्र कुमार उर्फ छोटे मुखिया ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। इस अवसर पर, उन्होंने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस का दामन थामा, जिससे जिले की राजनीति में नए समीकरण बनते हुए नजर आ रहे हैं।
भाजपा से कांग्रेस में बदलावकौशलेंद्र कुमार, जो नालंदा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर चुके थे, उनके इस कदम से पार्टी के अंदर भी हलचल मच गई है। कौशलेंद्र कुमार ने अपनी राजनीति की शुरुआत भाजपा से की थी, और वे पार्टी के एक प्रमुख नेता माने जाते थे। लेकिन अब उनका कांग्रेस में शामिल होना, न केवल भाजपा के लिए बल्कि नालंदा जिले की राजनीति के लिए भी एक बड़े बदलाव का संकेत है।
कौशलेंद्र ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद कहा, "मैंने कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का निर्णय जिले के विकास और जनता की भलाई के लिए लिया है। पार्टी का विचार और नीतियां मेरे दिल के करीब हैं, और मुझे विश्वास है कि कांग्रेस के साथ मिलकर हम नालंदा जिले का विकास कर सकते हैं।"
कांग्रेस में शामिल होने के कारणकौशलेंद्र कुमार का कहना है कि भाजपा में उन्हें अपने उद्देश्यों को पूरा करने में बाधाएं महसूस हो रही थीं, और इसलिए उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय लिया। उनके साथ आए सैकड़ों समर्थकों ने भी कांग्रेस की नीतियों और विकास के एजेंडे का समर्थन किया।
राजनीतिक समीकरणों पर असरकौशलेंद्र कुमार का कांग्रेस में शामिल होना न केवल भाजपा के लिए एक झटका है, बल्कि इससे नालंदा जिले में राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं। उनका यह कदम कांग्रेस के लिए एक बड़ा लाभ हो सकता है, क्योंकि वे न केवल एक अनुभवी नेता हैं, बल्कि नालंदा में एक बड़ी जनसंख्या में लोकप्रिय भी हैं।
इसके अलावा, इस घटनाक्रम ने आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के लिहाज से नालंदा की राजनीतिक तस्वीर को और भी दिलचस्प बना दिया है। कौशलेंद्र कुमार के इस कदम से पार्टी की स्थिति मजबूत हो सकती है, और यह भाजपा के लिए एक चुनौती बन सकती है।