शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेता राज ठाकरे के बीच शनिवार को मुंबई में आयोजित संयुक्त रैली ने राजनीतिक जगत में हलचल पैदा कर दी है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं ने इस पुनर्मिलन को 'जिहादी सभा' और 'राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने की कोशिश' के रूप में वर्णित किया है।
नितेश राणे ने की सबसे तल्ख टिप्पणी
महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने इस रैली पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे 'जिहादी सभा' करार देते हुए कहा, 'हम हिंदू हैं और गर्वित मराठी भी। जिस तरह जिहादी हमारे समाज को बांटने की कोशिश करते हैं, ये लोग भी वही कर रहे हैं।' मुंबई BJP के अध्यक्ष आशीष शेलार ने इसे नगरपालिका चुनावों से पहले 'तुष्टिकरण' का अभियान बताया। उन्होंने अपने X पोस्ट में लिखा, 'नगरपालिका चुनाव नजदीक आते ही घबराई हुई यूबीटी सेना को अचानक 'भाईचारा' याद आ गया...वैसे भी इन्होंने कभी इसकी परवाह नहीं की।'
सुलह का स्वर और स्वार्थ का आरोप
हालांकि, BJP के पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने सुलह का रुख अपनाया। उन्होंने कहा, 'दोनों भाइयों को एकजुट होना चाहिए और एकजुट रहना चाहिए। जरूरत पड़े तो उनकी पार्टियों को वास्तव में विलय पर विचार करना चाहिए...अगर वे एक साथ आ रहे हैं, तो यह अच्छा है। उन्हें हमारी शुभकामनाएं।'
केंद्र सरकार में मंत्री और BJP सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के नेता चिराग पासवान ने इसे 'स्वार्थी मकसद' और 'खोया जनाधार वापस पाने की कोशिश' बताया। पासवान ने कहा, 'भारत का संविधान हमें देश के किसी भी कोने में रहने और कोई भी भाषा बोलने की अनुमति देता है। मैं हर भाषा का सम्मान करता हूं...लेकिन कुछ स्वार्थी राजनीतिक दल जाति, धर्म, क्षेत्र और अब भाषा के आधार पर भेदभाव की राजनीति को बढ़ावा देते हैं, इसका मैं बिल्कुल समर्थन नहीं करता।'