चिराग पासवान का बिहार चुनाव में बड़ा दांव: सभी सीटों पर लड़ने का ऐलान
newzfatafat July 08, 2025 06:42 AM
बिहार की सियासत में चिराग पासवान की नई रणनीति

Bihar Chunav: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान एक बार फिर बिहार की सियासत में चर्चा का विषय बन गए हैं। अपने बयानों और राजनीतिक शैली के कारण वह लगातार सुर्खियों में हैं। हाल ही में उन्होंने घोषणा की कि उनकी पार्टी बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और वे स्वयं भी चुनावी मैदान में उतरेंगे। इस घोषणा के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है।


चुनाव लड़ने का ऐलान

हाल के दिनों में चिराग पासवान ने भोजपुर और सारण जैसे क्षेत्रों में जनसभाएं कीं और बार-बार कहा कि 'हम सभी 243 सीटों पर लड़ेंगे और बिहार को बदलेंगे।' उन्होंने विधानसभा चुनाव में खुद के उम्मीदवार बनने की बात भी की है, जिससे एनडीए के समर्थक और कार्यकर्ता भ्रमित हो गए हैं। सवाल यह उठता है कि अगर एलजेपी-आर सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, तो अन्य एनडीए पार्टियों के लिए जगह कहां बचेगी?


चाचा से मिली बढ़त, फिर भी नाराज़ क्यों?

चिराग पासवान वर्तमान में लोकसभा में पांच सांसदों वाली पार्टी के नेता हैं और मोदी कैबिनेट में मंत्री भी हैं। भाजपा ने उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को किनारे करके चिराग को समर्थन दिया है। ऐसे में चिराग का कहना कि 'हम किसी से डरते नहीं' किसे चेतावनी दे रहे हैं? विश्लेषकों का मानना है कि चिराग यह संदेश इसलिए दे रहे हैं ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें कम न आंका जाए। एलजेपी-आर की ओर से सीटों की मांग कभी 60 तो कभी 40 सीटों की होती रही है।


2020 की तरह दोहराएंगे इतिहास?

2020 विधानसभा चुनाव में भी चिराग पासवान ने ऐसा ही कदम उठाया था। जब उन्हें एनडीए में मनचाही सीटें नहीं मिलीं, तो उन्होंने गठबंधन से अलग होकर 134 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए। इन उम्मीदवारों ने जदयू को खासा नुकसान पहुंचाया, करीब 34 सीटों पर एलजेपी-आर ने जदयू की हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चिराग ने भाजपा को सीधे निशाने पर नहीं लिया था, बल्कि खुद को 'मोदी का हनुमान' बताकर जनता के बीच पहुंचे थे।


सीट बंटवारे को लेकर असली तनातनी

चिराग केवल अधिक सीटें ही नहीं, बल्कि उन सीटों की भी मांग कर रहे हैं, जिन पर 2020 में उनके उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे। ये सीटें मुख्य रूप से जदयू की रही हैं। ऐसे में जदयू तैयार नहीं है। बताया जा रहा है कि ऐसी लगभग 14 सीटें हैं, जिन्हें लेकर दोनों दलों में तनाव है।


कहां है सियासी ज़मीन?

सारण की सभा में चिराग ने बिहार के विकास की बात की, लेकिन सच्चाई यह है कि सारण की 10 में से 7 सीटें महागठबंधन के पास हैं और 3 सीटें भाजपा के पास हैं। एलजेपी-आर का वहां कोई खास आधार नहीं है। इसके बावजूद चिराग वहां जाकर खुद को सीएम उम्मीदवार के रूप में पेश कर रहे हैं। चिराग पासवान की रणनीति उन्हें सीटों में बेहतर सौदेबाज़ी दिला सकती है, लेकिन इससे एनडीए में अंदरूनी खींचतान बढ़ने की संभावना भी है। अब देखना यह होगा कि भाजपा इस बार चिराग को कितना महत्व देती है और जदयू उनकी मांगों पर क्या रुख अपनाता है।


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