भारतीय नौसेना ने पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमता को और मजबूत कर लिया है. मंगलवार (8 जुलाई) को भारतीय नौसेना के INS कवरेत्ती से Extended Range Anti-Submarine Rocket (ERASR) का सफल परीक्षण किया गया. इस ट्रायल से भारत की समुद्री सुरक्षा में बड़ी छलांग मानी जा रही है.
अब तक RGB-60 रॉकेट की मारक दूरी करीब 5.3 किलोमीटर थी, लेकिन DRDO के आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) ने इसकी रेंज बढ़ाकर 8 किलोमीटर से ज्यादा कर दी है. इसका मतलब है कि अब भारतीय युद्धपोत दुश्मन की पनडुब्बियों को पहले से कहीं ज्यादा दूर से ही तबाह कर सकेंगे.
भारत की ताकत INS कवरेत्तीआत्मनिर्भर भारत की ताकत INS कवरेत्ती कमोरटा-क्लास का कोर्वेट है, जिसे 90% स्वदेशी तकनीक से बनाया गया है. इसे 2015 में लॉन्च किया गया था और 2020 में नौसेना में शामिल किया गया. करीब 1,700 करोड़ रुपए की लागत से बने इस कोर्वेट ने हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की स्टील्थ और एंटी-सबमरीन ऑपरेशन क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया है.
चीन की चुनौतियों को करारा जवाबयह ट्रायल ऐसे समय पर हुआ है जब हिंद महासागर में चीन की पनडुब्बी मौजूदगी लगातार बढ़ रही है. DRDO की रिपोर्ट के मुताबिक, ERASR के आने से पनडुब्बी डिटेक्शन रेंज में 50% तक बढ़ोतरी होगी. इसका मतलब है कि अब भारत अपने समुद्री क्षेत्र में किसी भी अज्ञात पनडुब्बी को पहले से ज्यादा आसानी से पकड़ सकेगा और उस पर हमला भी कर सकेगा.
ERASR का सफलतापूर्वक परीक्षण23 जून से 07 जुलाई तक INS कवरत्ती से विस्तारित रेंज एंटी-सबमरीन रॉकेट (ERASR) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. DRDO के आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE), पुणे ने हाई एनर्जी मटेरियल रिसर्च लेबोरेटरी और नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लेबोरेटरी के सहयोग से भारतीय नौसेना के जहाजों के स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर (IRL) के लिए ERASR को डिजाइन और विकसित किया है.
स्वदेशी एंटी-सबमरीन रॉकेटERASR एक पूरी तरह से स्वदेशी एंटी-सबमरीन रॉकेट है, जिसका उपयोग पनडुब्बी से लड़ने के लिए किया जाता है और इसे भारतीय नौसेना के जहाजों के IRL से दागा जाता है. इसमें सटीकता और स्थिरता के साथ रेंज की आवश्यकताओं की एक ट्विन-रॉकेट मोटर कॉन्फ़िगरेशन है. ERASR स्वदेशी रूप से विकसित इलेक्ट्रॉनिक टाइम फ़्यूज़ का उपयोग करता है.
कुल 17 ERASR का अलग-अलग रेंज में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. परीक्षणों के सभी उद्देश्य जैसे रेंज प्रदर्शन, इलेक्ट्रॉनिक टाइम फ्यूज और वारहेड कार्यप्रणाली (मोडस ऑपरेंडी) का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बधाईभारत डायनेमिक्स लिमिटेड, हैदराबाद और सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड, नागपुर ईआरएएसआर रॉकेट के उत्पादन भागीदार हैं. सफल परीक्षण के साथ, भारतीय नौसेना जल्द ही ईआरएएसआर प्रणाली को शामिल कर सकती है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रणाली के विकास और परीक्षणों में शामिल डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और उद्योग को बधाई दी है.
उन्होंने कहा कि इसको भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने से इसकी मारक क्षमता में वृद्धि होगी. रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने भी ईआरएएसआर के डिजाइन और विकास में शामिल टीमों की सराहना की.