दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार से निपटने के लिए फोन कॉल को इंटरसेप्ट करना कानूनी है. जस्टिस अमित महाजन ने कहा कि भ्रष्टाचार के सभी आरोपों में बड़े पैमाने पर जनता को प्रभावित करने की क्षमता नहीं होगी. लेकिन जब बड़ी रकम शामिल होती है, तो यह भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत कॉल इंटरसेप्ट करने की अनुमति देने के लिए आवश्यक ‘सार्वजनिक सुरक्षा’ की सीमा को पूरा करती है.
कोर्ट ने कहा कि हालांकि यह सामान्यीकृत नहीं किया जा सकता है कि भ्रष्टाचार से जुड़े सभी आरोपों में बड़े पैमाने पर जनता को प्रभावित करने की क्षमता होगी, यहां आरोप एक तुच्छ परियोजना से संबंधित नहीं हैं.
अपराध का आर्थिक पैमानाकोर्ट ने कहा कि यह एक ऐसी परियोजना है जिसे 2149.93 करोड़ रुपए में दिया गया था, जहां प्रभाव के जरिए से मांगा गया काम भी काफी बड़ी राशि का होगा. इस कोर्ट की राय में अपराध का आर्थिक पैमाना सार्वजनिक सुरक्षा की सीमा को पूरा करता है.
याचिका पर सुनवाईदरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने आकाश दीप चौहान नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए 26 जून को यह टिप्पणी की. याचिका में आकाश दीप चौहान पर आपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए थे. आरोपों के मुताबिक आकाश ने एक कंपनी के साथ काम किया, जिसने निर्माण क्षेत्र की दिग्गज कंपनी शापूरजी पल्लोनजी से उप-ठेका लेने की कोशिश की थी.
CBI ने की कॉल इंटरसेप्टशापूरजी पल्लोनजी को प्रगति मैदान में दिल्ली के एकीकृत प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र के पुनर्विकास का काम सौंपा गया था. CBI ने आरोपियों के बीच कई कॉल इंटरसेप्ट कीं, जिससे साजिश की पुष्टि हुई. मामले पर विचार करने के बाद कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और आकाश दीप चौहान की याचिका खारिज कर दी.