वाराणसी,09 जुलाई (Udaipur Kiran) । काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ की नगरी में गुरू पूर्णिमा पर्व की धूम है। मठ-मंदिरों, आश्रमों और गुरु परंपरा से जुड़े घरानों में उल्लासपूर्वक पर्व मनाने की तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। गुरुवार 10 जुलाई को पड़ने वाले इस पावन पर्व के लिए शहर के प्रमुख धार्मिक स्थलों को सजाया गया है। साफ-सफाई, रंग-रोगन और सजावट के साथ गुरुपीठ श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
गुरु आराधना के महापर्व के एक दिन पहले बुधवार से ही दूर दराज के श्रद्धालु अपने गुरूपीठों, गुरू आश्रमों में पहुंचने लगे है। शिष्यों के आने से गुरूपीठ भी गुलजार है। सर्वेश्वरी समूह आश्रम पड़ाव, संत मत अनुयायी आश्रम मठ गड़वाघाट, बाबा कीनाराम स्थली क्रीं कुंड में मेला लगता है। पर्व पर पूर्व पीठाधीश्वरों की पूजा आरती के बाद ही दर्शन पूजन शुरू होता है।
मणिकर्णिकाघाट स्थित सतुआ बाबा आश्रम में प्रथम सतुआबाबा रणछोड़ दास एवं षष्ठपीठाधीश्वर यमुनाचार्य महाराज की चरण पादुका पूजन से उत्सव प्रारम्भ होता है। इसी तरह बाबा कीनाराम स्थली क्रींकुंड शिवाला में सुबह आरती, श्रमदान के बाद अघोरेश्वर की समाधियों का पूजन का विधान है।
पड़ाव स्थित अवधूत भगवान राम आश्रम में पीठाधीश्वर गुरु पद संभव राम के पूजन के लिए लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। सामनेघाट स्थित ओशो आश्रम, परमहंस आश्रम, कश्मीरीगंज स्थित श्रीराम जानकी मंदिर, तुलसीघाट, नगवां स्थित गायत्री मंदिर सहित विभिन्न आश्रम के पीठाधीश्वरों का आर्शीवाद पाने के लिए श्रद्धालु लालायित है।
अस्सी डुमराव बाग स्थित काशी सुमेरू पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने बताया कि आश्रम में गुरू पूर्णिमा पर्व पर विविध धार्मिक अनुष्ठान होंगे।
गौरतलब हो कि इस बार गुरूपूर्णिमा का पर्व गुरूवार (10 जुलाई ) को मनाया जाएगा। आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व गुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता जताने के लिए है। सनातन संस्था के गुरूराज प्रभू ने बताया कि इस दिन गुरूतत्व अन्य दिनों की तुलना में 100 गुना अधिक कार्यरत रहता है। ऐसे में सभी साधकों और आम लोगों को भी आध्यात्मिक उन्नति के लिए अपने गुरू का आर्शिवाद लेना चाहिए। सनातन धर्म में गुरु और ईश्वर दोनों को एक समान माना गया है। सभी को भक्तिभाव से गुरूपूजन करना चाहिए।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी