Amarnath Gufa अमरनाथ गुफा के बारे में तो सब जानते है लेकिन क्या आपको ये पता है कि इसकी खोज किसने की थी? क्या किसी मुस्लिम शख्स ने अमरनाथ गुफा की खोज की थी? या ये कहानी लोगों को गुमराह करने के लिए गढ़ी गई। आखिर अमरनाथ गुफा को सबसे पहले किसने देखा था। क्या है बाबा बर्फानी की इस गुफा का रहस्य? चलिए जानते है।
अमरनाथ यात्रा शुरु हो चुकी है। हर साल दूर-दूर से श्रद्धालु यहां बाबा बर्फानी के दर्शन करने आते हैं। लेकिन इस रहस्यमयी गुफा को लेकर एक सवाल अकसर उठता है कि आखिर अमरनाथ गुफा किसने खोजी होगी? अमरनाथ यात्रा हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थों में से एक है। अमरनाथ में बर्फ के शिवलिंग की पूजा का विधान है। मान्यता है कि जो भी पूरे श्रद्धा भाव से यहां शिवलिंग की पूजा करता है भगवान शिव उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
इसी जगह पर भगवान शिव ने अपनी पत्नी देवी पार्वती को अमरत्व का मंत्र सुनाया था और उन्होंने कई वर्ष रहकर यहां तपस्या भी की। अमरनाथ श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट की मानें तो अमरनाथ की गुफा की खोज एक मुस्लिम शख्स ने की थी।
वेबसाइट के मुताबिक 1850 में एक दिन बूटा मालिक नाम का चरवाहा अपनी भेड़ चराते हुए गुफा के पास पहुंचा इस दौरान उसे एक साधु मिला जहां साधु ने बूटा मालिक को कोयले से भरा एक पात्र दिया जो बाद में सोने से बदल गया फिर वो साधु को धन्यवाद देने के लिए पहुंचा तो उसने अमरनाथ गुफा में शिवलिंग देखा और तभी से इसे हिंदुओं की पवित्र जगह माना जाने लगा।
हालांकि ये कहानी विवादास्पद है क्योंकि अगर हम इतिहास के पन्ने पलटें तो 6ठीं सदी के निलमत पुराण में लिखा है कि कश्मीर के राजा सामदीमत शैव पहलगाम के जंगलों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा अर्चना करने जाते थे। जिससे ये साफ होता है कि छठी सदी से पहले श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा किया करते थे।
इसके अलावा सोलहवी सदी में लिखी गई आइन–ए–अकबरी में भी अबुल फजल ने अमरनाथ गुफा और शिवलिंग का जिक्र कते हुए लिखा है कि हिंदुओं का वो स्थान बहुत चमत्कारिक है और हिंदू वहां जाते रहते हैं। ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पायर में भी अमरनाथ की गुफा का जिक्र है। इसका मतलब साफ है बूटा मलिक की कहानी चाहे जितनी लोकप्रिय हो, गुफा की खोज उससे कहीं पहले हो चुकी थी। इसलिए बुटामलिक की खोज के दावे आज तक विवादास्पद हैं।
हालांकि पौराणिक रुप से कहा जाता है की भृगु ऋषि ने सबसे पहले अमरनाथ गुफा की खोज की थी। पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि जब कश्मीर घाटी जलमग्न थी, तब ऋषि कश्यप ने नदियों के माध्यम से पानी निकाला। इस दौरान भृगु ऋषि हिमालय की यात्रा पर थे। उन्होंने इस गुफा में बर्फ के शिवलिंग के दर्शन किए। इसके बाद ये स्थान शिव आराधना का प्रमुख केंद्र बन गया।