क्यों एक इकलौते बच्चे के लिए भी 'जरूरी' है वसीयत? जानें दिल्ली के विरासत कानून का ये बड़ा राज
Newsindialive Hindi August 20, 2025 04:42 PM

"मेरा तो एक ही बेटा/बेटी है,मेरे बाद सब कुछ उसका ही तो होगा। वसीयत (Will)बनवाने के झंझट में क्यों पड़ना?" -यह एक ऐसी आम धारणा है जो भारत के लगभग हर उस परिवार में पाई जाती है,जिसकी केवल एक संतान होती है। लोगों को लगता है कि जब कोई दूसरा दावेदार ही नहीं है,तो संपत्ति का हस्तांतरण (Property Transfer)तो अपने आप ही हो जाएगा। लेकिन यह सोच न केवल गलत है,बल्कि आपके बच्चे के भविष्य के लिए एक बहुत बड़ा खतरा भी बन सकती है।दिल्ली समेत भारत के अन्य मेट्रो शहरों के संदर्भ में,यह समझना और भी ज़रूरी हो जाता है कि एक छोटी सी लापरवाही,यानी वसीयत न बनवाना,आपके इकलौते वारिस को सालों तक चलने वाली कानूनी लड़ाइयों,वित्तीय परेशानियों और मानसिक तनाव के एक गहरे कुएं में धकेल सकता है। आइए,आज हम इस मिथक को तोड़ते हैं और समझते हैं कि विरासत कानून के अनुसार एक इकलौते बच्चे के लिए भी वसीयत बनवाना'संजीवनी बूटी'की तरह क्यों काम करताहैं।बिना वसीयत के क्या होता है? (उत्तराधिकार कानून का जटिल जाल)जब किसी व्यक्ति की मृत्यु बिना कोई वसीयत लिखे हो जाती है,तो इसे कानून की भाषा में'निर्विवाद मृत्यु' (Dying Intestate)कहा जाताਹੈ।ऐसी स्थिति में,उस व्यक्ति की संपत्ति का बंटवारा उसकी व्यक्तिगत इच्छा के अनुसार नहीं,बल्कि देश केउत्तराधिकार कानूनों (Succession Laws)के अनुसार होताਹੈ।भारत में विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग उत्तराधिकार कानून हैं,लेकिन हिंदुओं,सिखों,जैनियों और बौद्धों के लिएहिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 (Hindu Succession Act, 1956)लागू होता है।यहीं छिपा है सबसे बड़ा पेंच:इस कानून के तहत,संपत्ति के कानूनी उत्तराधिकारियों को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है,जिन्हें'श्रेणी-I', 'श्रेणी-II'वारिस आदि कहा जाताहैं।कौन हैं श्रेणी-Iके वारिस?:अगर किसी हिंदू पुरुष की बिना वसीयत के मृत्यु हो जाती है,तो उसकी संपत्ति उसकेश्रेणी-Iके उत्तराधिकारियों में बराबर बांटी जाएगी। इस श्रेणी में सिर्फ बेटा या बेटी ही नहीं,बल्किपत्नी,मां, predeceasedबेटे/बेटी के बच्चेऔर कुछ अन्य करीबी रिश्तेदार भी शामिल होते हैं।एक उदाहरण से समझें:मान लीजिए,दिल्ली में रहने वाले'श्री शर्मा'का एक बेटा'रोहन'है। श्री शर्मा यह सोचते हैं कि उनके बाद उनका आलीशान घर और बैंक बैलेंस रोहन को ही मिलेगा,इसलिए वे वसीयत नहीं बनवाते। अगर श्री शर्मा की मृत्यु हो जाती है और उस समय उनकीमां (यानी रोहन की दादी)जीवित हैं,तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार,श्री शर्मा की संपत्तिकेवल रोहन को नहीं मिलेगी। वह संपत्ति श्री शर्मा के सभी श्रेणी-Iके वारिसों में बराबर बांटी जाएगी,यानी उनकीपत्नी,उनके बेटे रोहन,और उनकी मांके बीच तीन बराबर हिस्सों में बंटेगी!यह वह झटका है जिसके लिए ज़्यादातर लोग तैयार नहीं होते।सिर्फ एक बच्चे के होते हुए भी वसीयत क्यों है'अत्यावश्यक'?उपरोक्त स्थिति से बचने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपकी संपत्ति केवल उसी को मिले जिसे आप देना चाहते हैं,वसीयत बनवाना बेहद ज़रूरीहैं।1.अपनी इच्छा को कानून बनाने के लिए:एक वसीयत उत्तराधिकार कानून को ओवरराइड करती है। अगर श्री शर्मा ने वसीयत में लिखा होता कि उनकी सारी संपत्ति केवल उनके बेटे रोहन को मिलेगी,तो फिर किसी अन्य रिश्तेदार का,चाहे वह श्रेणी-Iका वारिस ही क्यों न हो,उस पर कोई कानूनी अधिकार नहीं रहता।2.कानूनी प्रक्रियाओं और अदालती झंझटों से बचाव:वसीयत न होने की स्थिति में,आपके बच्चे को यह साबित करने के लिए कि वही एकमात्र उत्तराधिकारी है,अदालत से'उत्तराधिकार प्रमाण पत्र' (Succession Certificate)लेना पड़ सकताਹੈ।यह एक बेहद लंबी,महंगी और थकाऊ प्रक्रियाहैं,जिसमें सालों लग सकते हैं। एक स्पष्ट और पंजीकृत वसीयत (Registered Will)इस पूरी प्रक्रिया को बेहद सरल और तेज बना देतीहैं।3.संपत्ति का सुगम और तेज हस्तांतरण:एक वसीयत की मौजूदगी में,बैंक खाते,डीमैट खाते,और प्रॉपर्टी के म्यूटेशन (स्वामित्व का हस्तांतरण) की प्रक्रिया बहुत तेजी से पूरी हो जातीहैं।इसके बिना,हर सरकारी विभाग और बैंक आपके बच्चे से उत्तराधिकार साबित करने के लिए दर्जनों दस्तावेज मांगेगा,जिससे उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।4.झूठे दावेदारों से सुरक्षा:वसीयत न होने की स्थिति में,दूर के रिश्तेदार भी संपत्ति में हिस्सा मांगने के लिए झूठे मुकदमे दायर कर सकते हैं,जिससे आपका बच्चा एक अंतहीन कानूनी लड़ाई में फंस सकता है। एक पंजीकृत वसीयत ऐसे किसी भी झूठे दावे के खिलाफ सबसे मजबूत कानूनी हथियार होताहैं।5.अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने के लिए:आपने अपनी पूरी जिंदगी जो मेहनत करके संपत्ति बनाई है,उसका भविष्य किस्मत के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। एक वसीयत यह सुनिश्चित करतीहैंकि आपकी विरासत सही और सुरक्षित हाथों में जाए।कैसे बनवाएं एक मजबूत वसीयत?स्पष्ट भाषा का प्रयोग करें:वसीयत को बिल्कुल स्पष्ट और सरल भाषा में लिखें।दो गवाह अनिवार्य:वसीयत पर आपके हस्ताक्षर के समय दो गवाहों की उपस्थिति अनिवार्य है,जो यह प्रमाणित करेंगे कि आपने उनकी उपस्थिति में हस्ताक्षर किए हैं।पंजीकरण (Registration) कराएं:हालांकि कानूनन अनिवार्य नहीं है,लेकिन अपनी वसीयत को सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय में पंजीकृत कराना इसे कानूनी रूप से लगभग'अभेद्य'बना देताहैं,जिसे चुनौती देना बेहद मुश्किल होता है।
© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.