काठमांडू, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । भारत और चीन के बीच हुए समझौते में लिपुलेख का जिक्र आने के बाद नेपाल में इसका व्यापक विरोध हो रहा है। आज नेपाल की संसद में सभी दलों के सांसदों ने इस समझौते का विरोध किया है। सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के सांसदों ने सरकार पर कूटनीतिक तरीके से समाधान ढूंढने के लिए दबाव डाला है।
नेपाली कांग्रेस के महामंत्री गगन थापा ने सदन में भारत और चीन के बीच हुए समझौते का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि लिपुलेख दर्रे का दक्षिणी हिस्सा नेपाल का है। नेपाली भूभाग को लेकर भारत और चीन ने समझौता करके गैर कूटनीतिक काम किया है, जिसका नेपाल समर्थन नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को अपने आगामी चीन और भारत दौरे के समय इस मुद्दे को उठाना चाहिए।
सत्तापक्ष यूएमएल के प्रमुख सचेतक महेश बरतौला ने कहा कि भारत और चीन के बीच हुए समझौते का सभी दलों को एकजुट होकर विरोध करना चाहिए। बरतौला ने कहा कि नेपाल को बिना जानकारी दिए देश के भूभाग को लेकर चीन और भारत ने समझौता किया है, उसे नेपाल कदापि स्वीकार नहीं कर सकता है। उन्होंने सरकार से इस पर कूटनीतिक पहल करने और इस सीमा विवाद को दीर्घकालीन समाधान के लिए पहल करने का आग्रह किया है।
प्रमुख प्रतिपक्षी दल माओवादी के प्रवक्ता अग्नि सापकोटा ने कहा कि प्रधानमंत्री को इस पर सदन में आकर जवाब देना चाहिए। माओवादी पार्टी ने भी इस समझौते का विरोध करते हुए कहा कि इस पर राजनीति नहीं, बल्कि कूटनीतिक तरीके से इसका समाधान ढूंढने का प्रयास करना चाहिए।
राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अलावा अन्य छोटे दलों के सांसदों ने भी भारत और चीन के बीच हुए समझौते को अस्वीकार करते हुए आपत्ति जताई है। इन सभी दलों ने दोनों देशों के साथ तत्काल कूटनीतिक वार्ता करने की मांग की है।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास