पंचायत और निकाय चुनाव का इंतजार खत्म, तारीखों को लेकर खींचतान जारी
aapkarajasthan August 24, 2025 12:42 AM

राजस्थान में पंचायत और निकाय चुनाव का इंतजार अब लगभग खत्म होने वाला है, लेकिन चुनाव की तारीखों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार के बीच खींचतान जारी है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग जल्दी चुनाव की तारीख की घोषणा करने के लिए तैयार है, लेकिन राज्य सरकार एक “एक राज्य, एक चुनाव” के फेवर में है और यह चुनाव दिसंबर में कराना चाहती है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग के बीच इस खींचतान के कारण चुनाव की तारीखों की घोषणा में विलंब हो सकता है। करौली पंचायत समिति उपचुनाव के नतीजों ने भी राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया है। इस उपचुनाव में बीजेपी की स्थिति स्पष्ट हुई है, जिससे लगता है कि पार्टी अब चुनाव नवंबर–दिसंबर से पहले कराने के पक्ष में नहीं है।

राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारी ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार आयोग जल्दी चुनाव की तारीख घोषित करने का इच्छुक है। अधिकारी ने कहा कि आयोग का उद्देश्य सभी पंचायत और निकाय चुनाव समय पर कराना है, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित न हो।

वहीं, राज्य सरकार का कहना है कि “एक राज्य, एक चुनाव” के सिद्धांत के तहत चुनाव को दिसंबर में कराना उपयुक्त होगा। सरकार का मानना है कि इससे प्रशासनिक संसाधनों की बचत होगी और चुनाव प्रक्रिया को बेहतर ढंग से लागू किया जा सकेगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव की तारीख को लेकर यह खींचतान विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए भी महत्वपूर्ण है। करौली पंचायत समिति उपचुनाव में मिले परिणामों ने स्पष्ट किया है कि सत्ताधारी और विपक्षी दल दोनों ही आगामी पंचायत और निकाय चुनावों की रणनीति पर ध्यान दे रहे हैं।

स्थानीय स्तर पर चुनाव की तैयारी को लेकर भी तेजी दिखाई दे रही है। सभी जिलों में राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर रहे हैं। वहीं, निर्वाचन आयोग भी चुनाव प्रक्रिया की तैयारी को अंतिम रूप देने में जुटा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद ही सभी दल अपने चुनावी अभियान को पूरी तरह से तेज करेंगे। चुनावी माहौल में तेजी आने के साथ ही मतदाताओं की भागीदारी और राजनीतिक गतिशीलता में भी वृद्धि होने की संभावना है।

राजस्थान में पंचायत और निकाय चुनावों के महत्व को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले महीनों में राज्य का राजनीतिक परिदृश्य और भी रोचक होने वाला है। मतदाताओं की अपेक्षाओं, राजनीतिक दलों की रणनीति और प्रशासनिक तैयारियों को मिलाकर चुनाव का महत्व और भी बढ़ जाएगा।

राज्य निर्वाचन आयोग और सरकार के बीच चल रही खींचतान के बावजूद जनता की निगाहें इस पर हैं कि आखिरकार चुनाव की तारीख कब घोषित होगी और इस प्रक्रिया में लोकतांत्रिक व्यवस्था कितनी सुचारू रूप से लागू होती है।

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