वाराणसी: बीएचयू आयुर्वेद संकाय के उद्यान में औषधीय पौधों का रोपण
Udaipur Kiran Hindi August 24, 2025 01:42 AM

– आयुर्वेद के दृष्टिकोण से उपयोगी पौधों का किया गया पाैधरोपण

वाराणसी, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के चिकित्सा विज्ञान संस्थान की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) इकाई ने शनिवार को आयुर्वेद में वर्णित औषधीय पौधों के संरक्षण और प्रचार के उद्देश्य से वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एस.एन. शंखवार एवं आयुर्वेद संकाय के प्रमुख प्रो. पी.के. गोस्वामी की अगुवाई में संस्थान परिसर स्थित औषधीय उद्यान में आंवला, हरीतकी, विभीतक, अर्जुन, नीम, कनेर, अपराजिता, हरसिंगार, गुडुची और तुलसी सहित कई औषधीय पौधों का रोपण किया गया।

कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों ने इन पौधों की औषधीय उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आंवला को आयुर्वेद में ‘रसायन’ कहा गया है, जो दीर्घायु और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है। विभीतक (बहेड़ा) त्रिफला का प्रमुख घटक है, जो पाचन तंत्र को सुधारने और श्वसन संबंधी विकारों में लाभकारी है।

हरीतकी को ‘मलशोधक’ माना जाता है, जो कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी समस्याओं में अत्यंत उपयोगी है और मधुमेह में भी लाभकारी मानी जाती है। अर्जुन की छाल को हृदय रोगों के लिए रामबाण कहा जाता है। वहीं, नीम जीवाणु एवं विषाणु जनित रोगों से लड़ने की क्षमता रखता है। कनेर का उपयोग त्वचा रोगों, घाव और जोड़ों के दर्द में बाहरी लेप के रूप में किया जाता है। इन औषधीय पौधों का उपयोग न केवल आयुर्वेदिक शोध में किया जाएगा, बल्कि इन्हें आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ समन्वय में रोगों के उपचार हेतु भी उपयोग में लाया जाएगा।

कार्यक्रम में प्रो. के.एन. सिंह, प्रो. शंख चक्रवर्ती, प्रो. सुदामा सिंह, डॉ. दिनेश, डॉ. देवानंद, डॉ. अमित नायक, डॉ. राजकिशोर आर्य सहित चिकित्सा व आयुर्वेद विभाग के बीएएमएस, एमबीबीएस, एमडी तथा पीएचडी के छात्र-छात्राएं भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी प्रतिभागियों ने पूरे उत्साह और समर्पण के साथ इस अभियान में भाग लिया।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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