इंटरमिटेंट फास्टिंग में दिन के कुछ घंटे ही खाना खाया जाता है और बाकी समय फास्टिंग यानी उपवास किया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका असर महिलाओं और पुरुषों पर एक जैसा होता है या अलग-अलग? चलिए जानते हैं कि ये डाइटिंग पैटर्न दोनों पर कैसे असर डालता है.
वजन घटने, ब्लड शुगर को कंट्रोल करने और मेटाबोलिज्म हेल्थ सुधारने के लिए फिटनेस की दुनिया में नए ट्रेंड्स लोग अपनाने लगे हैं, जिसमे से एक ट्रेंड जो काफी चर्चित बना हुआ है वो है इंटरमिटेंट फास्टिंग का. इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting ) महिलाओं और पुरुषों दोनों पर असर डालती है, लेकिन इसका प्रभाव हमेशा एक जैसा नहीं होता. इसका कारण है कि दोनों के शरीर की हॉर्मोनल संरचना, मेटाबॉलिज़्म और एनर्जी की ज़रूरतें अलग-अलग होती हैं.
पुरुषों पर इंटरमिटेंट फास्टिंग का असर
पुरुषों के शरीर में हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव महिलाओं की तुलना में काफी कम होता है. इसलिए इंटरमिटेंट फास्टिंग उनके लिए थोड़ा आसान और असरदार साबित होती है. पुरुषों में फास्टिंग से फैट बर्निंग तेजी से होती है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है. इसके अलावा इंसुलिन सेंसिटिविटी बेहतर होती है, यानी ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है. टेस्टोस्टेरोन लेवल भी कई बार बेहतर हो सकता है, जिससे एनर्जी बढ़ती है और मसल्स मजबूत होते हैं. पुरुष लंबे समय का फास्ट (जैसे 16 से18 घंटे) भी आसानी से कर सकते हैं.
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महिलाओं पर इंटरमिटेंट फास्टिंग का असर
महिलाओं का शरीर पुरुषों की तुलना में ज्यादा संवेदनशील होता है, क्योंकि इसमें हर महीने हार्मोनल बदलाव होते रहते हैं. ऐसे में इंटरमिटेंट फास्टिंग का असर भी अलग दिखाई देता है. अगर महिलाएं ज्यादा लंबे समय तक फास्टिंग करती हैं तो कई बार पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं. कुछ महिलाओं को थकान, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द और नींद की कमी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. लेकिन अगर सही तरीके से अपनाया जाए तो महिलाओं में भी वजन घटाने, हार्मोन बैलेंस और ब्लड शुगर कंट्रोल करने में यह बहुत फायदेमंद है. खासतौर पर PCOS और इंसुलिन रेजिस्टेंस वाली महिलाओं को डॉक्टर की सलाह से ही यह डाइट शुरू करनी चाहिए.
Intermittent Fasting का महिला-पुरूषों में क्यों होता है अलग फर्क?
असल में महिलाओं का शरीर प्रजनन (Reproductive health) को प्राथमिकता देता है. जब शरीर को लगता है कि खाने की कमी है तो यह सबसे पहले हार्मोनल बदलाव करता है, जिससे प्रेग्नेंसी और पीरियड्स से जुड़ी दिक्कतें आ सकती हैं. यही वजह है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के साइड इफेक्ट्स महिलाओं में जल्दी नजर आते हैं. वहीं पुरुषों में ये असर इतना गहरा नहीं होता, इसलिए वे बिना ज्यादा परेशानी के लंबे समय तक फास्टिंग कर पाते हैं.
कैसे अपनाएं इंटरमिटेंट फास्टिंग?
पुरुषों के लिए- 16:8 पैटर्न (16 घंटे फास्ट और 8 घंटे खाने का समय) बेहतर माना जाता है, लेकिन इसे कुछ समय के लए ही करें.लगाकार ये पैटर्म अपनाने से सेहत पर उल्चा असर पड़ सकता है.
महिलाओं के लिए- शुरुआत में 12:12 या 14:10 पैटर्न ज्यादा सुरक्षित है. यानी 1214 घंटे फास्ट और बाकी समय संतुलित खाना. दोनों को ही फास्टिंग के दौरान खूब पानी पीना चाहिए और खाने के समय पोषण से भरपूर डाइट लेनी चाहिए.
किन्हें नहीं करनी चाहिए इंटरमिटेंट फास्टिंग?
Intermittent Fasting की सावधानियां-
डॉक्टर से सलाह लें. अगर आपको दिल या शुगर से जुड़ी कोई भी समस्या है तो बिना एक्सपर्ट से पूछे फास्टिंग शुरू न करें. खाने की क्वालिटी 8 घंटे में जो भी खाएं, उसमें हरी सब्ज़ियां, फल, हेल्दी प्रोटीन और साबुत अनाज ज़रूर शामिल करें. फास्टिंग को लॉन्ग-टर्म पर न अपनाएं बल्कि अस्थायी टूल (कुछ समय के लिए ही अपनाएं) की तरह इस्तेमाल करें, इसे लाइफटाइम सॉल्यूशन मान लेना खतरनाक हो सकता है. सबसे जरूरी बात- बॉडी की सुनें. अगर फास्टिंग के दौरान चक्कर, थकान या अनियमित हार्टबीट जैसी समस्या हो तो तुरंत बंद करें.