Keratoconus : आँखें मलने की आदत है? रुक जाइए, यह मामूली सी आदत आपको बना सकती है अंधा

News India Live, Digital Desk: Keratoconus : थकान हुई, नींद आई, आँखों में कुछ चला गया या हल्की सी खुजली हुई... हमारा सबसे पहला रिएक्शन होता है अपनी आँखों को जोर से मलना। हमें लगता है कि ऐसा करने से तुरंत आराम मिल जाएगा। हम दिन में न जाने कितनी बार अनजाने में ऐसा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी यह 'आरामदायक' लगने वाली आदत असल में आपकी आँखों के लिए कितनी खतरनाक है?यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। यह आदत धीरे-धीरे आपकी आँखों की रोशनी छीन सकती है और आपको 'केराटोकोनस' (Keratoconus) जैसी गंभीर बीमारी का शिकार बना सकती है, जिसमें अंधापन भी हो सकता है।क्यों है आँखें मलना इतना खतरनाक?हमारी आँखों का कॉर्निया (Cornea), यानी आँख की सबसे बाहरी पारदर्शी परत, बेहद नाजुक होती है। यह हमारे शरीर के सबसे संवेदनशील ऊतकों (tissues) में से एक है। जब हम अपनी आँखों को जोर से मलते हैं, तो हम सीधे तौर पर इस नाजुक पर्दे पर दबाव डालते हैं।1. कॉर्निया का आकार बदल जाता है (केराटोकोनस):लगातार आँखें मलने से कॉर्निया पर दबाव पड़ता है, जिससे वह कमजोर होकर पतला होने लगता है। धीरे-धीरे, इसका गोल आकार बदलकर बाहर की तरफ शंकु (cone) जैसा उभरने लगता है। इस स्थिति को ही 'केराटोकोनस' कहते हैं।क्या होता है इससे?: कॉर्निया का आकार बदलने से उस पर पड़ने वाली रोशनी ठीक से फोकस नहीं हो पाती, जिससे चीजें धुंधली और टेढ़ी-मेढ़ी दिखाई देने लगती हैं। शुरुआती तौर पर चश्मे का नंबर तेजी से बदलता है, लेकिन बाद में चश्मे से भी साफ दिखना बंद हो जाता है। अगर इसका इलाज न हो तो स्थिति इतनी गंभीर हो सकती है कि कॉर्निया ट्रांसप्लांट (Cornea Transplant) कराने की नौबत आ जाती है।2. इन्फेक्शन का सीधा रास्ता:हमारे हाथ दिनभर में न जाने कितनी चीजों को छूते हैं और उन पर हजारों बैक्टीरिया और कीटाणु होते हैं। जब हम उन्हीं गंदे हाथों से अपनी आँखों को मलते हैं, तो ये बैक्टीरिया सीधे हमारी आँखों में चले जाते हैं। इससे कंजंक्टिवाइटिस (आँख आना), जलन और कई तरह के गंभीर इन्फेक्शन हो सकते हैं।3. कालापन और झुर्रियां:आँखों के आसपास की त्वचा बहुत पतली और नाजुक होती है। बार-बार मलने और रगड़ने से वहां की महीन रक्त वाहिकाएं (blood vessels) टूट सकती हैं, जिससे आँखों के नीचे काले घेरे (Dark Circles) बन जाते हैं। साथ ही, इस रगड़ से त्वचा में खिंचाव आता है, जिससे समय से पहले झुर्रियां भी पड़ सकती हैं।4. ग्लूकोमा (काला मोतिया) का खतरा:जो लोग पहले से ही ग्लूकोमा जैसी बीमारी से पीड़ित हैं, उनके लिए आँखें मलना और भी खतरनाक है। ऐसा करने से आँखों के अंदर का दबाव (Intraocular Pressure) अचानक से बढ़ जाता है, जो ऑप्टिक नर्व को और ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।तो फिर खुजली या जलन होने पर क्या करें?ठंडे पानी से धोएं: अगर आँखों में कुछ चला गया है या जलन हो रही है, तो उन्हें मलने के बजाय साफ, ठंडे पानी के छींटे मारें।आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें: आँखों में सूखापन (dryness) महसूस होने पर डॉक्टर की सलाह से लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स (lubricating eye drops) का इस्तेमाल करें।पलकें झपकाएं: तेजी से अपनी पलकों को झपकाने से भी आँखों में फंसी छोटी-मोटी चीज आंसू के साथ बाहर निकल जाती है।ठंडी सिकाई: आँखों में थकान या हल्की खुजली होने पर, एक साफ कपड़े को ठंडे पानी में भिगोकर कुछ देर के लिए अपनी बंद आँखों पर रखें।अगली बार जब भी आपका हाथ अपनी आँखों को मलने के लिए उठे, तो एक पल के लिए रुककर सोचिएगा। आपकी यह एक छोटी सी आदत आपकी खूबसूरत दुनिया देखने की क्षमता पर कितनी भारी पड़ सकती है। अपनी आँखों से प्यार करें, उन्हें मलें नहीं।