इस साल गणेश चतुर्थी पर लालबागचा राजा की प्रतिमा को एक विशाल और भव्य 50 फीट ऊंचे दरबार में स्थापित किया गया है. यह ऊंचाई, भक्तों के लिए दर्शन को और भी शानदार बनाती है.
इस साल के पंडाल की सजावट तिरुपति बालाजी के स्वर्ण मुकुट से प्रेरित है. प्रतिमा को भी सोने के गहनों से सजाया गया है, जिससे यह और भी आकर्षक लग रही है.
लालबागचा राजा की पहली झलक दिखाने से पहले, मूर्ति के सामने एक बड़ा, 50 फीट ऊंचा और चौड़ा मखमली पर्दा लगाया गया था. जिसे अब भक्तों के लिए हटा दिया गया है.
यह खास पर्दा उत्तर प्रदेश के मुस्लिम कारीगरों ने बनाया है. खान चाचा और उनके साथियों ने इसे चार दिनों की कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया है.
लालबागचा राजा के पंडाल में मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाए गए पर्दे का उपयोग, हिंदू-मुस्लिम एकता का एक मजबूत प्रतीक है. यह दर्शाता है कि धार्मिक आस्थाएं लोगों को जोड़ सकती हैं, न कि उन्हें अलग कर सकती हैं.
यह तस्वीर यहीं संदेश देती है कि आस्था और भक्ति का कोई धर्म नहीं होता. यह सब त्योहार के महत्व को और भी बढ़ाता है.
इस साल, भी लालबागचा राजा के दर्शन बुधवार यानी गणेश चतुर्थी के पहले दिन से भक्तों के लिए शुरू हो जाएंगे, जिससे वे इस भव्य और आध्यात्मिक माहौल का अनुभव कर सकें.