भारतीय तेल कंपनियां कम कीमतों और एलपीजी घाटे में कमी के कारण वित्त वर्ष 2026 में मजबूत आय करेंगी दर्ज : रिपोर्ट
Indias News Hindi August 27, 2025 08:42 PM

New Delhi, 27 अगस्त . एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (ओएमसी) चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 26) में तेल की कम कीमतों और एलपीजी घाटे में कमी के कारण मजबूत आय दर्ज करेंगी.

एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च के अनुसार, “तेल की कम कीमतों और बड़ी पूंजीगत व्यय योजना के कारण ओएमसी के पास अब सुरक्षा का एक बड़ा मार्जिन है, जिससे हमें विश्वास है कि आय का एक मानक स्तर (अनुमानित) अभी भी बना रहेगा.”

तेल की कम कीमतें मजबूत ऑटो फ्यूल मार्केटिंग मार्जिन (वर्तमान में 5-9 रुपए प्रति लीटर) के लिए सहायक हैं और यह वित्त वर्ष 26 की आय के लिए अच्छा संकेत है.

इसके अलावा, ग्लोबल एलपीजी की कीमतों में भी कमी आई है, जिससे वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही की तुलना में वर्तमान में प्रति सिलेंडर एलपीजी घाटे में 30-40 प्रतिशत की कमी आई है.

रिपोर्ट में कहा गया है, “इसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 26 में अंडर-रिकवरी कम होगी. हालांकि,ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को एलपीजी के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार द्वारा प्रावधानित 300 अरब रुपए के पे-आउट मैकेनिज्म पर अधिक विवरण की प्रतीक्षा है (जिसका अभी हिसाब नहीं है), ये रुझान आय पूर्वानुमानों के लिए ऊपर की ओर जोखिम पैदा करते हैं.”

ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) दीर्घकालिक औसत से कम बना हुआ है, लेकिन प्रोडक्ट क्रैक स्वस्थ और वित्त वर्ष 25 से अधिक बना हुआ है. यह दर्शाता है कि अगर रूसी कच्चे तेल के मिश्रण में बहुत अधिक बदलाव नहीं होता है, तो रिफाइनिंग लाभप्रदता पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर हो सकती है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में पहले ही इन्वेंट्री लॉस दर्ज हो चुका है और ब्रेंट की कीमतें 65-67 डॉलर प्रति बैरल, स्थिर तेल कीमतों के साथ, इन्वेंट्री लॉस से होने वाले झटके की संभावना कम है.

कम तेल की कीमतें कार्यशील पूंजी की आवश्यकता को भी कम करेंगी, जिससे उधार लेने की जरूरतें कम होंगी.

तिमाही आधार पर (पहली तिमाही में), एचपीसीएल/बीपीसीएल के लिए प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (पीएटी) 30 प्रतिशत/90 प्रतिशत बढ़ा, जबकि आईओसीएल के लिए इन्वेंट्री प्रभाव के कारण 20 प्रतिशत कम रहा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि तीनों ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के लिए रूसी कच्चे तेल का मिश्रण अलग-अलग है, लेकिन सभी ने संकेत दिया है कि मिश्रण में कोई भी बदलाव पूरी तरह से आर्थिक कारणों से प्रेरित होगा.

वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में रूसी कच्चे तेल की छूट घटकर 1.5-2 डॉलर प्रति बैरल रह गई है और वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 120 अरब रुपये की तुलना में एलपीजी घाटा कम होकर 80 अरब रुपए रह गया है. साथ ही मार्केटिंग मार्जिन में सुधार हुआ है.

रिपोर्ट में कहा गया है, “कच्चे तेल की कम कीमतों के कारण आय में वृद्धि को देखते हुए हम मार्केटिंग मार्जिन अनुमान बढ़ा रहे हैं.”

एसकेटी/

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