बाढ़ का कहर और ढहती इमारत : यह घटना पठानकोट जिले के मधुपुर हेडवर्क्स के पास की है। रावी नदी का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा था और बाढ़ का पानी हर पल नई मुसीबतें खड़ी कर रहा था। इसी बीच, एक इमारत अचानक बाढ़ के पानी के दबाव में ढहने लगी। इस इमारत के भीतर 22 सीआरपीएफ कर्मी और 3 नागरिक फंसे हुए थे। चारों तरफ पानी ही पानी था और इमारत किसी भी क्षण पूरी तरह धराशायी हो सकती थी।
जान जोखिम में डालकर रेस्क्यू : स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारतीय सेना के जांबाज पायलटों ने तत्काल एक्शन लिया। यह कोई सामान्य ऑपरेशन नहीं था। एक ढहती हुई इमारत के ऊपर हेलिकॉप्टर को संतुलित करना और हर एक व्यक्ति को सुरक्षित निकालना, यह जानलेवा चुनौती थी। लेकिन, सेना के बहादुरों ने अपनी जान की परवाह किए बिना हेलिकॉप्टर को उस खतरनाक जगह पर उतारा।
एक-एक करके, हर व्यक्ति को हेलिकॉप्टर में खींचकर सुरक्षित बाहर निकाला गया। इस मिशन की गति और सटीकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आखिरी व्यक्ति के रेस्क्यू होने के तुरंत बाद ही वह इमारत पूरी तरह से धराशायी हो गई। अगर थोड़ी भी देरी होती तो एक बड़ा हादसा हो सकता था।
सेना की 'एनी मिशन, एनी टाइम, एनी व्हेयर' की भावना : यह साहसी ऑपरेशन एक बार फिर भारतीय सेना के अदम्य साहस, कुशलता और देश के हर नागरिक की सुरक्षा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह घटना सिर्फ एक बचाव कार्य नहीं है, बल्कि यह साबित करती है कि सेना के जवान हर संकट में, चाहे वह कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हो, देशवासियों की रक्षा के लिए हर पल तैयार रहते हैं। उनकी 'एनी मिशन, एनी टाइम, एनी व्हेयर' (कोई भी मिशन, किसी भी समय, कहीं भी) की भावना इस ऑपरेशन में साफ झलकती है।
बाढ़ संकट के बीच मानवता की जीत : जम्मू-कश्मीर में तवी नदी और पंजाब में रावी, ब्यास और सतलुज नदियों के उफान पर आने से हजारों लोग बेघर हो गए हैं। सेना और एनडीआरएफ की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई हैं। ऐसे में, यह रेस्क्यू मिशन सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि मानवता की जीत का एक प्रतीक बन गया है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि जब भी हम प्रकृति के कोप से जूझते हैं, भारतीय सेना हमेशा हमारे साथ खड़ी रहती है, चट्टान की तरह।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala