चार मेडिकल कॉलेजों में नीट-2025 दाखिलों के शासनादेश रद्द, नए सिरे से होंगी सीटें भरती
Samachar Nama Hindi September 01, 2025 03:42 PM

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश के चार सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले से जुड़ा अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने कन्नौज, सहारनपुर, अंबेडकर नगर और जालौन के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नीट-2025 के तहत हुए प्रवेशों को लेकर जारी शासनादेशों को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इन संस्थानों में दाखिले की प्रक्रिया आरक्षण अधिनियम-2006 के प्रावधानों के अनुरूप नहीं की गई है।

राज्य सरकार को सीटें नए सिरे से भरने का आदेश

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि इन मेडिकल कॉलेजों की सीटों को नए सिरे से भरा जाए। अदालत ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि प्रवेश प्रक्रिया में आरक्षण का अनुपालन पूरी तरह से किया जाए और कानूनी रूप से निर्धारित सीमा से अधिक आरक्षण न दिया जाए।

विशेष आरक्षण शासनादेश भी निरस्त

अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस विशेष शासनादेश को भी रद्द कर दिया, जिसके तहत इन कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया में अतिरिक्त आरक्षण लागू किया गया था। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि आरक्षण से जुड़े प्रावधानों को लेकर राज्य सरकार को संविधान और आरक्षण अधिनियम 2006 की सीमा से बाहर जाकर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।

क्या था मामला

यह पूरा विवाद तब खड़ा हुआ जब नीट-2025 परीक्षा के आधार पर दाखिले के दौरान राज्य सरकार ने विशेष आरक्षण नीति लागू करते हुए कानूनी सीमा से अधिक सीटें आरक्षित कर दीं। इस पर कई याचिकाएँ दायर हुईं, जिनमें तर्क दिया गया कि शासनादेश संविधान और आरक्षण अधिनियम-2006 के खिलाफ है।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि सरकार ने 50 प्रतिशत की निर्धारित सीमा से ऊपर जाकर आरक्षण लागू किया, जिससे सामान्य वर्ग के छात्रों के अधिकार प्रभावित हुए हैं। साथ ही यह भी कहा गया कि सरकार ने आरक्षण लागू करने से पहले विधानसभा में कोई संशोधन पारित नहीं कराया और न ही केंद्र से कोई अनुमति ली।

कोर्ट का स्पष्ट रुख

लखनऊ पीठ ने सुनवाई के बाद कहा कि आरक्षण को लेकर संविधान में तय सीमाओं का पालन करना अनिवार्य है। अदालत ने माना कि इस मामले में राज्य सरकार द्वारा जारी शासनादेश असंवैधानिक और मनमाना है। इसलिए इसे निरस्त किया जाना उचित है।

छात्रों में असमंजस, सरकार पर दबाव

हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब चारों मेडिकल कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया प्रभावित हो गई है। जिन छात्रों का नाम पहले से चयनित सूची में शामिल था, उनकी स्थिति फिलहाल असमंजस में है। वहीं, राज्य सरकार पर नए सिरे से दाखिले कराने का दबाव बढ़ गया है।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार चाहे तो इस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकती है, लेकिन तब तक दाखिले की प्रक्रिया ठप रह सकती है।

विपक्ष ने साधा निशाना

विपक्षी दलों ने इस मामले में सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उनका कहना है कि सरकार ने बिना पर्याप्त तैयारी और कानूनी सलाह के फैसले लिए, जिसका खामियाजा अब हजारों मेडिकल छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।

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