जिले के उतवण गांव में मंगलवार को ऐतिहासिक और धार्मिक माहौल देखने को मिला। करीब 26 साल बाद यहां प्राचीन समुद्र मंथन की परंपरा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर 900 से अधिक महिलाओं ने तालाब की परिक्रमा लगाई, जबकि पूरे आयोजन में लगभग 6 हजार ग्रामीणों की भागीदारी रही।
ग्रामीणों के अनुसार, समुद्र मंथन की परंपरा गांव की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर रही है, लेकिन पिछले ढाई दशक से यह क्रम टूट गया था। इस बार ग्रामवासियों और सामाजिक संगठनों की पहल पर परंपरा को पुनर्जीवित किया गया। सुबह से ही गांव में भक्ति और उल्लास का वातावरण बना रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत विधिवत पूजा-अर्चना और मंत्रोच्चारण के साथ हुई। इसके बाद महिलाओं ने तालाब की परिक्रमा की। परिक्रमा के दौरान महिलाओं ने मंगलगीत गाए और लोक रीति-रिवाजों का निर्वाह किया। इस दृश्य को देखने के लिए आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।
ग्रामीणों का कहना है कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल परंपरा को निभाना ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता और सामूहिकता को बढ़ावा देना भी है। समुद्र मंथन की कथा के माध्यम से अच्छाई और बुराई के संघर्ष तथा समाज में सहयोग की महत्ता का संदेश दिया गया।
कार्यक्रम में शामिल बुजुर्गों ने बताया कि पहले यह आयोजन हर साल धूमधाम से होता था, लेकिन समय और परिस्थितियों के चलते यह परंपरा टूट गई। अब 26 साल बाद इसे फिर से शुरू किया गया है, जिससे नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिला।
पूरे आयोजन में अनुशासन और श्रद्धा का भाव देखने को मिला। पुरुषों और युवाओं ने भी व्यवस्था संभालने में सहयोग किया। बच्चों में भी उत्साह देखा गया, वे तालाब के किनारे सजावट और झांकी देखने में व्यस्त रहे।