Anant Chaturdashi Katha: हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व बताया गया है. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा होती है. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से अनंत व्रत करता है और कथा सुनता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है और जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं.
अनंत व्रत की शुरुआत कैसे हुई?पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार पांडवों पर लगातार विपत्तियां आने लगीं. उनका राजपाट छिन गया और वे वनवास में भटकते रहे. तब द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण से अपनी व्यथा सुनाई. श्रीकृष्ण ने कहा “हे द्रौपदी, तुम्हारी कठिनाइयों का समाधान अनंत व्रत में है. इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारे सारे संकट दूर होंगे और तुम्हें पुनः राजपाट प्राप्त होगा.”
अनंत व्रत की कथाकथा के अनुसार, एक समय की बात है. एक अत्यंत धर्मनिष्ठ ब्राह्मण दंपत्ति थे सुमन्त और उनकी पत्नी दीक्षा. सुमन्त की पुत्री सुषिला का विवाह कौण्डिनय ऋषि से हुआ. विवाह के बाद जब सुषिला पति के साथ ससुराल जा रही थी, तभी उसने नदी किनारे स्त्रियों को अनंत व्रत करते देखा. उन्होंने भगवान विष्णु की पूजा की और हाथ में 14 गांठों वाला धागा (अनंत सूत्र) बांधा.
सुषिला ने भी उसी समय व्रत किया और अनंत सूत्र धारण कर लिया. उसने अपने पति कौण्डिनय ऋषि को भी इसकी कथा सुनाई. व्रत की शक्ति से उनके जीवन में सुख-समृद्धि आ गई. लेकिन कुछ समय बाद काऊंडिन्य को यह धागा अंधविश्वास लगने लगा. उन्होंने गुस्से में आकर अनंत सूत्र को फेंक दिया. तभी उनके जीवन में एक-एक करके दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. घर की सारी संपत्ति नष्ट हो गई, परिवार संकटों में घिर गया. कौण्डिनय को अपनी गलती का एहसास हुआ और वे पुनः अनंत सूत्र की खोज में जंगल-जंगल भटकने लगे. अंततः भगवान विष्णु स्वयं प्रकट हुए और कहा यह तुम्हारे अहंकार का फल है. अब यदि सच्चे मन से अनंत व्रत करोगे तो तुम्हारे सारे संकट दूर होंगे. कौण्डिनय ऋषि ने भगवान विष्णु के बताए नियम से अनंत व्रत किया. तब जाकर उनके सारे संकट मिटे और जीवन में सुख-शांति लौट आई.
व्रत का महत्व और पूजन विधिइस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है. पूजा के बाद 14 गांठों वाला धागा (अनंत सूत्र) को दाहिने हाथ में पुरुष और बाएं हाथ में महिलाएं धारण करती हैं. इस धागे का प्रतीक है—अनंत काल तक सुख, समृद्धि और उन्नति. कथा सुनना और दान करना भी इस दिन विशेष पुण्यकारी माना गया है.
अनंत व्रत का फलशास्त्रों में कहा गया है कि अनंत चतुर्दशी पर व्रत और कथा सुनने से हर प्रकार का संकट दूर होता है. गृह क्लेश मिटते हैं, दरिद्रता समाप्त होती है और किस्मत के द्वार खुल जाते हैं. यही कारण है कि इस दिन का व्रत मनोकामना पूर्ण करने वाला व्रत भी कहलाता है. माना जाता है कि अनंत व्रत की कथा पढ़ें और भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का स्मरण करें, तो आपके जीवन के हर संकट धीरे-धीरे समाप्त होंगे और नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.