झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) के CGL पेपर लीक मामले की जांच के संबंध में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई जारी रही। इस मामले में परीक्षा में शामिल कुछ अभ्यर्थियों ने भी अपनी ओर से पक्ष प्रस्तुत किया।
सुनवाई का विवरणकोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अब तक की जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट में जांच में सामने आए तथ्यों और कार्रवाई की जानकारी शामिल होने की संभावना है। हालांकि, रिपोर्ट की संवेदनशीलता के कारण इसे सीलबंद रखा गया।
अभ्यर्थियों की प्रतिक्रियापरीक्षा में शामिल कुछ अभ्यर्थियों ने भी कोर्ट में अपनी बात रखी। उनके पक्ष का संचालन सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन और अमृतांश वत्स ने किया। उन्होंने परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता और पेपर लीक की घटना पर उचित जांच की आवश्यकता पर जोर दिया।
जांच की पृष्ठभूमिJSSC CGL परीक्षा के पेपर लीक होने की खबर के बाद राज्य में सवाल उठे थे कि परीक्षा की निष्पक्षता पर असर पड़ा है। इस मामले को लेकर अभ्यर्थियों और जनहित संगठनों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
कोर्ट की दिशाकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार से रिपोर्ट मांगी थी ताकि यह स्पष्ट हो सके कि पेपर लीक मामले में क्या कार्रवाई की गई और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए। अधिकारियों ने बताया कि जांच में सभी पहलुओं को गंभीरता से देखा गया है।
विशेषज्ञों का दृष्टिकोणशिक्षा और कानून विशेषज्ञों का कहना है कि परीक्षा में पेपर लीक जैसी घटनाओं से विद्यार्थियों और युवा नौकरी चाहने वालों में असंतोष और विश्वास की कमी पैदा होती है। न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से मामले की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
आगे की कार्यवाहीकोर्ट ने मामले की सुनवाई आगे बढ़ाई है और सभी पक्षों की दलीलों और प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लेने का संकेत दिया है। कोर्ट यह भी देखेगा कि परीक्षा प्रक्रिया में सुधार और भविष्य में ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।