सूर्य ग्रहण 2025: किस नक्षत्र में लगा सूर्य ग्रहण? जानें किस राशि पर होगा क्या असर?
TV9 Bharatvarsh September 22, 2025 10:42 AM

सूर्य ग्रहण 2025: 21 सितंबर 2025 का सूर्य ग्रहण इस बार ज्योतिषीय दृष्टि से खास माना जा रहा है. यह ग्रहण कन्या राशि में और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में पड़ रहा है. शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण किसी नक्षत्र में पड़ने पर उसके प्रभाव का सीधा असर उस नक्षत्र और उससे जुड़े जीवन क्षेत्रों पर पड़ता है. इस बार का सूर्य ग्रहण स्वास्थ्य, रिश्तों और करियर सहित जीवन के कई पहलुओं में बदलाव ला सकता है.

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का महत्व

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र सूर्य देव से जुड़ा है और इसका स्वामी ग्रह भी सूर्य ही है. यह नक्षत्र स्थायित्व, अनुबंध, साझेदारी और दीर्घकालिक सफलता से जुड़ा माना जाता है. ऐसे में इस नक्षत्र में लगने वाला सूर्य ग्रहण रिश्तों और साझेदारी में बदलाव का संकेत देता है. विशेषकर उन जातकों के लिए जो इस नक्षत्र से सीधे जुड़े हैं, सावधानी आवश्यक होगी.

राशियों पर प्रभाव

मेष और सिंह राशि: स्वास्थ्य और मानसिक तनाव पर असर देख सकते हैं. पुरानी परेशानियाँ उभर सकती हैं, इसलिए संयम जरूरी है.

कन्या राशि: करियर और साझेदारी में महत्वपूर्ण फैसले टालना बेहतर रहेगा. अचानक बदलाव का सामना करना पड़ सकता है.

तुला और मकर राशि: परिवार और घरेलू मामलों में तनाव संभव है. संवाद को साफ और संतुलित रखना शुभ रहेगा.

वृश्चिक और मीन राशि: आर्थिक और निवेश संबंधी निर्णयों में सतर्कता बरतें. अप्रत्याशित खर्च हो सकते हैं.

रिश्तों और साझेदारी में असर

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र विवाह और साझेदारी से जुड़ा हुआ है. इस ग्रहण के दौरान वैवाहिक जीवन और व्यावसायिक पार्टनरशिप में मनमुटाव या दूरी महसूस हो सकती है. पुराने रिश्तों का परीक्षण हो सकता है और जो संबंध मजबूरी में चल रहे हैं, वे टूट सकते हैं. यह समय पुराने रिश्तों को सहेजने या नए रिश्तों की नींव रखने का अवसर भी दे सकता है.

स्वास्थ्य और दिनचर्या

कन्या राशि के नक्षत्र का प्रभाव स्वास्थ्य और दिनचर्या पर भी दिखाई देगा. पेट या पाचन से जुड़ी समस्याएँ बढ़ सकती हैं, मानसिक थकान महसूस हो सकती है. इस दौरान नियमित योग, प्राणायाम और संतुलित आहार की सलाह दी जाती है. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना इस अवधि में बेहद जरूरी है.

आध्यात्मिक दृष्टिकोण

सूर्य ग्रहण आत्मनिरीक्षण और आत्मविश्लेषण का समय भी लाता है. जीवन में स्थायी और अस्थायी रिश्तों का बोध इसी समय होता है. शास्त्रों में कहा गया है कि ग्रहण काल में जप, ध्यान और पूजा करने से नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र के नियमों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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