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जब हम गंभीर बीमारियों की बात करते हैं, तो ज़्यादातर लोग मधुमेह या वज़न बढ़ने के बारे में सोचते हैं। लेकिन एक और ख़तरनाक बीमारी जो चुपचाप शरीर पर हमला करती है, वह है लिवर सिरोसिस। यह बीमारी इतनी गंभीर होती है कि इसके शुरुआती लक्षण अक्सर दिखाई नहीं देते और तब तक लिवर काफ़ी क्षतिग्रस्त हो चुका होता है।
लिवर सिरोसिस क्या है?
लिवर सिरोसिस, क्रोनिक लिवर रोग का अंतिम चरण है। इसमें स्वस्थ कोशिकाओं की जगह धीरे-धीरे निशान ऊतक बनने लगते हैं। यह रक्त प्रवाह में भी बाधा डालता है और लिवर के महत्वपूर्ण कार्य जैसे शरीर से विषाक्त पदार्थों को साफ़ करना, पाचन और रक्त का थक्का जमना ठीक से नहीं हो पाता।
विशेषज्ञों का कहना है कि इसका एहसास आखिरी समय में तब होता है जब लिवर काम करना बंद कर देता है। जब तक लिवर सिरोसिस के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, तब तक काफ़ी नुकसान हो चुका होता है।
लिवर सिरोसिस के प्रमुख कारण
अत्यधिक शराब का सेवन, वायरल हेपेटाइटिस बी और सी, फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी), और कुछ आनुवंशिक रोग इस स्थिति के मुख्य कारण हैं।
शराब से होने वाला नुकसान
लगातार और अत्यधिक शराब का सेवन लिवर कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाता है। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे बढ़ती है और अंततः सिरोसिस में बदल जाती है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह कैंसर का रूप भी ले सकता है।
फैटी लिवर रोग
मधुमेह और खराब खान-पान के कारण होने वाला फैटी लिवर रोग अब भारत में तेज़ी से बढ़ रहा है। कभी-कभी शरीर अपनी ही लिवर कोशिकाओं पर हमला करता है या वंशानुगत विकारों के कारण लिवर क्षतिग्रस्त हो जाता है।
अनजाने लक्षण
लिवर सिरोसिस के शुरुआती लक्षण बहुत हल्के होते हैं। इसलिए मरीज़ इन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन धीरे-धीरे ये गंभीर रूप ले लेते हैं। कुछ प्रमुख लक्षणों में लगातार थकान, त्वचा और आँखों का पीला पड़ना, पेट या पैरों में सूजन, आसानी से रक्तस्राव और याददाश्त व सोचने में समस्या शामिल हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, लिवर सिरोसिस एक 'साइलेंट किलर' है। क्योंकि यह धीरे-धीरे लेकिन गंभीर नुकसान पहुँचाता है। इसलिए, नियमित जाँच, उचित आहार, शराब से परहेज़ और हेपेटाइटिस का टीका लिवर की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण उपाय हैं।