भारत की ऑटो एंसिलरी इंडस्ट्री 2025 में एक नई पहचान बना रही है. लंबे समय तक ये सिर्फ वाहनों के प्रोडक्शन की सपोर्टिंग इंडस्ट्री के रूप में जानी जाती थी, लेकिन अब ये वैश्विक ऑटोमोबाइल इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. सरकार की नीतियों, घरेलू बाजार की बढ़ती मांग और वैश्विक सप्लाई चेन में बदलाव ने भारतीय ऑटो कंपोनेंट सेक्टर को सिर्फ सप्लायर से बढ़कर एक रणनीतिक साझेदार बना दिया है.
ऑटो कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडियाऑटो कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) के आंकड़ों के मुताबिक, FY25 में इंडस्ट्री का टर्नओवर $80.2 बिलियन रहा, जो साल-दर-साल 9.6% की बढ़ोतरी को दिखाता है. पिछले पांच सालों में ये सेस्कट दोगुना हो गया है और 14% बना हुआ है. आने वाले टाइम में Automotive Mission Plan (AMP) के तहत इंडस्ट्री का जीडीपी में योगदान 5-7% तक पहुंचने का अनुमान है, और इसका दीर्घकालिक मूल्यांकन USD 220 बिलियन तक का टारगेट है.
ABS, एयरबैग की मांग बढ़ीदेश में तेजी से बढ़ती शहरी मध्यवर्गीय आबादी और बढ़ते डिस्पोजेबल इनकम ने वाहन स्वामित्व में बढ़ोतरी की है. अब लोग बेहतर तकनीकी सुविधाओं और सेफ्टी के साथ उच्च गुणवत्ता वाले वाहन चाहते हैं. ABS, एयरबैग और उन्नत इंफोटेनमेंट सिस्टम जैसी तकनीकों की मांग बढ़ रही है. Make in India और 100% FDI की नीतियों ने भारतीय वाहन निर्माता कंपनियों को बड़े निवेश तक की पहुंच प्रदान की है. वैश्विक ऑटोमेकर्स ने 2000 के बाद से $37.21 बिलियन का निवेश किया है, जिससे घरेलू निर्माता वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रोडक्शन करने में सक्षम हुए हैं.
10 बिलियन का निवेश होने की उम्मीदभारतीय ऑटो एंसिलरी इंडस्ट्री का लगभग 27% प्रोडक्शन यूरोप, ASEAN, मध्य पूर्व और नॉर्थ अमेरिका में जाता है. चीन से निर्भरता घटाने की रणनीति (China+1) भारतीय निर्माताओं के लिए अवसर लेकर आई है. उद्योग का प्रोडक्शन FY26 तक USD 3235 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें PLI योजना के माध्यम से अगले पांच साल में अतिरिक्त USD 10 बिलियन का निवेश होने की उम्मीद है.
टैरिफ वार और सप्लाई चेन में चुनौतियांजियोपॉलिटिकल अनिश्चितताएं, टैरिफ वार और सप्लाई चेन में चुनौतियां हैं. वहीं, जिन कंपनियों की संचालन क्षमता आसान होगी और जो वैश्विक बाजार में सक्रिय रहेंगी, वो ही भविष्य में सफलता हासिल करेंगी.वहीं, भारतीय ऑटो एंसिलरी इंडस्ट्री अब सिर्फ सप्लायर नहीं, बल्कि वैश्विक ऑटो उद्योग में रणनीतिक और नवाचारकारी साझेदार के रूप में उभर रही है, जो भविष्य में भारत की ऑटोमेटिक पहचान को मजबूती प्रदान करेगी.