Chhath Puja Nahay Khay 2025: छठी मैया और सूर्य देव की उपासना का महापर्व छठ आज ‘नहाय-खाय’ के साथ शुरू हो गया है. यह चार दिवसीय अनुष्ठान अत्यंत पवित्रता, अनुशासन और आस्था का प्रतीक है. छठ पर्व की शुरुआत का यह पहला दिन न केवल शारीरिक शुद्धि, बल्कि मानसिक तैयारी के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन व्रती (व्रत करने वाले) एक विशेष प्रकार का सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं, जिसमें ‘कद्दू भात’ का प्रसाद सबसे खास होता है. आइए, जानते हैं नहाय-खाय का महत्व, कद्दू-भात के प्रसाद की विशेषता और इस दिन के महत्वपूर्ण नियम.
सूर्य उपासना की शुरुआतनहाय-खाय के साथ ही सूर्य उपासना की शुरुआत मानी जाती है. छठ व्रत में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है, जो ऊर्जा, जीवन और संतान सुख के प्रतीक हैं. इस दिन से ही व्रती अपने मन, वचन और कर्म को पूर्णतः पवित्र रखने का संकल्प लेते हैं.
नहाय-खाय: पवित्रता का पहला कदम‘नहाय-खाय’ का अर्थ है स्नान करके भोजन ग्रहण करना. यह दिन छठ महापर्व के 36 घंटे के निर्जला व्रत की नींव रखता है.
शुद्धि और संकल्प: व्रती सूर्योदय से पहले उठकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं. अगर यह संभव न हो तो घर पर ही नहाने के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जाता है. स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रती छठ पूजा का संकल्प लेते हैं. यह स्नान शरीर और मन को पवित्र कर व्रत के लिए तैयार करता है.
घर की स्वच्छता: इस दिन पूरे घर और रसोई की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है, क्योंकि छठ पूजा में पवित्रता का सबसे अधिक महत्व है. प्रसाद बनाने के लिए भी नए या एकदम साफ बर्तनों का ही उपयोग किया जाता है.
सात्विक भोजन: इस दिन व्रती केवल एक बार सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं.
कद्दू भात का प्रसाद क्यों है ख़ास?नहाय-खाय के दिन जो सात्विक भोजन तैयार होता है, उसे ‘कद्दू-भात’ या ‘लौकी-भात’ कहा जाता है. इसमें मुख्य रूप से अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू (या लौकी) की सब्जी शामिल होती है.
सात्विकता और शुद्धता: यह भोजन बिना लहसुन और प्याज के शुद्ध घी या सरसों के तेल और सेंधा नमक में बनाया जाता है. इसे सबसे शुद्ध और पवित्र भोजन माना जाता है.छठ पर्व की शुरुआत सात्विकता से करने के लिए यह सर्वश्रेष्ठ है.
व्रत के लिए तैयारी: कद्दू एक ऐसी सब्जी है जिसमें पानी की मात्रा बहुत अधिक होती है. चार दिन के कठिन व्रत, जिसमें 36 घंटे का निर्जला उपवास भी शामिल है, से पहले कद्दू का सेवन व्रती के शरीर को पर्याप्त पानी, ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है, जिससे शरीर लंबे उपवास के लिए तैयार हो जाता है.
परंपरा और मान्यता: लोक मान्यताओं में कद्दू को बहुत ही पवित्र फल माना गया है. इसलिए छठ पूजा में शुद्धता और स्वास्थ्य के संतुलन को बनाए रखने के लिए इस पारंपरिक प्रसाद को विशेष महत्व दिया जाता है.
नहाय-खाय के विशेष नियमDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.