Chhath Puja 2025: छठ पूजा में संध्या अर्घ्य के दिन क्यों भरी जाती है कोसी? जानें-विधि और महत्व
TV9 Bharatvarsh October 27, 2025 07:42 PM

Kosi Puja, Chhath Puja: लोक आस्था के महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है. 26 अक्टूबर यानी बीते कल खरना का दिन था. खरना के पूजन के बाद व्रतियों ने विशेष प्रसाद ग्रहण किया. इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया, जिसका पारण 28 अक्टूबर यानी कल उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद किया जाएगा.

आज छठ महापर्व में संध्या अर्घ्य का दिन है. आज शाम के समय अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. संध्या अर्घ्य के अवसर पर कोसी भरी जाती है. आइए जानते हैं कि संध्या अर्घ्य के अवसर पर कोसी क्यों भरी जाती है? इसके पीछे की वजह क्या है? साथ ही जानते हैं कोसी भरने की विधि और महत्व.

कोसी क्या होती है?

कोसी छठ पूजा की एक विशेष परंपरा है. जिसमें गन्नों से छतरीनुमा संरचना बनाई जाती है, जिसके बीच में मिट्टी का हाथी और कलश रख दिया जाता है. इसमें प्रसाद और पूजा की सामग्री रखी जाती है. साथ ही दीपक जलाया जाता है. कोसी छठ पूजा के तीसरे दिन यानी संध्या अर्घ्य के समय भरी जाती है.

क्यों भरी जाती है कोसी?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कोसी भरना आस्था और कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है. जब भक्तों की कोई मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वो कोसी भरते हैं और छठी मैया के प्रति अपना आभार जताते हैं. लोग इस परंपरा का निर्वहन परिवार में सुख-समृद्धि, संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी करते हैं. किसी कठिन रोग से मुक्ति पाने के लिए भी कोसी भरी जाती है.

कोसी का महत्व

कोसी के घेरे को परिवारिक एकता और सुरक्षा कवच का प्रतीक माना जाता है, जबकि गन्नों से बनी छतरी छठी मैया की कृपा और आशीर्वाद का प्रतीक कही जाती है. ये पूजा में महिलाओं की आस्था दर्शाती है. महिलाएं ये पूजा परिवार की सुख-शांति और संतान की दीर्घायु के लिए करती हैं.

कोसी भरनी की विधि
  • पूजा के लिए सबसे पहले एक सूप या टोकरी सजाई जाती है.
  • उसके चारों ओर 5 या 7 गन्ने खड़े किए जाते हैं और छतरीनुमा संरचना बनाई जाती है.
  • ये संरचना जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु, आकाश का प्रतीक मानी जाती है.
  • टोकरी के भीतर मिट्टी के हाथी पर सिंदूर लगाया जाता है. उसके ऊपर घड़ा बना रहता है.
  • इस घड़े में ठेकुआ, फल, मूली, अदरक आदि सूप में लगने वाला प्रसाद भरा जाता है.
  • घड़े और हाथी के उपर 12 दिये होते हैं.
  • सभी को घी और बत्ती डालकर जलाया जाता है.
  • ये 12 मास और चौबीस घड़ी का प्रतीक कही जाती है.

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(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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