4 नम्बर इतना अशुभ क्यों, चीन-जापान हो या दक्षिण कोरिया, कैसे कायम हुआ डर?
TV9 Bharatvarsh October 30, 2025 03:42 PM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप APEC समिट में शामिल होने के लिए दक्षिण कोरिया पहुंचे. उनके स्वागत में दक्षिण कोरिया ने एक सोने का ताज भेंट किया और देश के सबसे बड़े सम्मान ग्रैंड ऑर्डर ऑफ मुगुनघ्वा से सम्मानित किया. यह सम्मान बहुत खास शख्सियतों को दिया जाता है. साउथ कोरिया की अपनी कई खासियतें भी हैं जो यहां आने वाले और इस देश को जानने वाले लोगों को चौंकाती है. ऐसी ही एक खासियत 4 नम्बर से जुड़ी है.

भारत समेत दूसरे देशों में 4 अंक एक साधारण सी संख्या होती है लेकिन दक्षिण कोरिया में इस अंक को बहुत अशुभ माना जाता है. इसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं. यहां तक कि कोरिया में 4 अंक कहीं नजर ही नहीं आता.

दक्षिण कोरिया में 4 अंक क्यों है अशुभ?

कोरियन भाषा में 4 अंक का उच्चारण मृत्यु के उच्चारण से मिलता है. जब भी कोई कोरियाई भाषा में 4 अंक का उच्चारण करता है तो वो मौत के उच्चारण जैसा लगता है. कोरियाई भाषा में चार के लिए प्रयुक्त शब्द का उच्चारण ‘सा’ होता है, जो कि ‘मृत्यु’ के लिए प्रयुक्त होने वाले हंजा (चीनी-कोरियाई) वर्ण का भी उच्चारण है. दुर्भाग्य और मृत्यु के साथ ध्वनिगत समानता होने के कारण संख्या चार को एक अशुभ संख्या माना जाता है.

मकान नम्बर में या चौथा फ्लोर है तो क्या लिखेंगे?

4 अंक का असर रोजमर्रा की जिंदगी में कैसे नजर आता है, अब इसे भी समझ लेते हैं. दक्षिण कोरिया की इमारतों, अस्पतालों और लिफ्ट में कभी भी 4th floor नहीं लिखा होता. इसकी जगह पर वहां F अक्षर का इस्तेमाल किया जाता है. यह संकेत होता है कि F का इस्तेमाल 4 की जगह हो रहा है. इस तरह वहां के लोगों का सामना 4 से नहीं होता. कुछ जगहों पर कमरा नंबर 4, 14, 24 आदि भी नहीं रखे जाते.

लिफ्ट में चौथे फ्लोर की जगह F लिखा जाता है.

कितने देशों में ऐसा टेट्राफोबिया?

4 नम्बर से इस खास तरह के डर को टेट्रोफोबिया भी कहा जाता है. दिलचस्प बात है कि इस अंक को लेकर डर सिर्फ कोरिया ही नहीं, चीन, जापान और ताइवान में भी है. यहां के लोगों का मानना है कि 4 अंक को अपने जीवन में लाने या इससे जुड़ी कोई चीज खरीदते हैं तो दुर्भाग्य पास आता है. बीमारी या मौत करीब आ सकती है.

फिर सबसे शुभ अंक कौनसा?

दक्षिण कोरिया के लोगों में 7 और 8 अंक को सबसे शुभ माना जाता है. यहां के लोगों में मान्यता है कि 7 और 8 अंक सफलता, समृद्धि और दीर्घायु होने का प्रतीक है. दावा किया जाता है इस चलन की शुरुआत चीनी संख्याओं के उच्चारण से हुई है. प्राचीन चीन में संख्याओं को उनके उच्चारण के आधार पर शुभ-अशुभ माना जाता था. चीनी भाषा में चार (四, sì) का उच्चारण मृत्यु (死, sǐ) से मिलता-जुलता है. धीरे-धीरे यही मान्यता कोरिया, जापान और वियतनाम तक पहुंची. इसके बाद जब कोरिया ने चीनी लिपि (हंजा) और संस्कृति अपनाई, तो यह डर वहीं से आया और लोगों में बढ़ता चला गया.

इन देशों में मान्यता रही है कि अगर किसी इंसान की उम्र या घर का नम्बर 4 अंक पर खत्म हो रहा है तो वो इंसान बुरे समय या बीमारियों का सामना करेगा. धीरे-धीरे इस अंक के इर्द-गिर्द लोगों की अलग-अलग सोच बनती गई जो समय के साथ और गहरी होती गई.

यह भी पढ़ें:विद्रोह या शक्ति प्रदर्शन कौन था मुगल बादशाह का अपहरण करने वाला महावत खान?

© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.