 
            ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट) के नाम पर बाज़ार में बेचे जा रहे भ्रामक पेय पदार्थों और पाउडर उत्पादों पर अब खाद्य सुरक्षा विभाग सख्त हो गया है। विभाग ने गुरुवार को बहरोड़ क्षेत्र में बड़ी कार्रवाई करते हुए कुल 417 पैक जब्त कर सीज कर दिए। इन सभी उत्पादों के नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए हैं।
खाद्य सुरक्षा विभाग को पिछले कुछ दिनों से शिकायतें मिल रही थीं कि बहरोड़ और आसपास के इलाकों में कुछ दुकानदार ओआरएस के नाम पर गैर-मानक पेय और पाउडर उत्पाद बेच रहे हैं, जिन पर “ORS” जैसा लेबल लगाकर ग्राहकों को भ्रमित किया जा रहा है। ये उत्पाद न तो मेडिकल ग्रेड के हैं और न ही भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) से प्रमाणित।
शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए खाद्य सुरक्षा अधिकारी (एफएसओ) मनोज यादव के नेतृत्व में टीम ने गुरुवार को बहरोड़ के विभिन्न दुकानों और गोदामों पर छापेमारी की। जांच के दौरान टीम ने कई दुकानों से ऐसे उत्पाद बरामद किए जो “ORS ड्रिंक” या “हेल्थ एनर्जी सॉल्ट” के नाम से बेचे जा रहे थे, लेकिन उनके घटक असली ओआरएस फॉर्मूले से मेल नहीं खाते थे।
टीम ने मौके पर ही 417 पैकेट्स को जब्त कर सीज किया और सभी उत्पादों के नमूने राज्य स्तरीय प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज दिए। अधिकारियों ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद संबंधित कंपनियों और वितरकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एफएसओ मनोज यादव ने बताया कि “ओआरएस एक चिकित्सीय उत्पाद है, जिसे केवल निर्धारित फार्मूले और अनुपात में तैयार किया जा सकता है। लेकिन कुछ कारोबारी मुनाफे के लालच में इसका नाम इस्तेमाल कर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसे उत्पाद न सिर्फ भ्रामक हैं बल्कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकते हैं।”
विभाग ने उपभोक्ताओं से भी अपील की है कि वे किसी भी पेय या पाउडर उत्पाद को खरीदते समय उसका एफएसएसएआई नंबर, निर्माण कंपनी और एक्सपायरी डेट अवश्य जांचें। बिना लेबल या बिना प्रमाणित उत्पादों का सेवन न करें।
इस कार्रवाई से स्थानीय बाजारों में हड़कंप मच गया है। कई दुकानदारों ने अपने स्टॉक की जांच शुरू कर दी है ताकि आगे किसी कार्रवाई से बचा जा सके। खाद्य सुरक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि आने वाले दिनों में जिले के अन्य इलाकों में भी इसी तरह की अभियानात्मक जांच जारी रहेगी, ताकि नकली और भ्रामक उत्पादों पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके।
कुल मिलाकर, बहरोड़ में की गई इस सख्त कार्रवाई ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि प्रशासन जनस्वास्थ्य से समझौता नहीं करेगा और ऐसे मिलावटखोर उत्पादों के खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाएगा।