ELSS, PPF या FD; कौन सा निवेश ऑप्शन है बेहतर? कहां होगा ज्यादा फायदा
TV9 Bharatvarsh November 03, 2025 02:42 AM

शेयर बाजार में उथल-पुथल के बीच में रिटेल निवेशकों के मन में यह हमेशा ख्याल रहता है कि मार्केट में मौजूद निवेश के ऑप्शंस में से उनके लिए कौन सा बेहतर होगा. यानी कि किसमें निवेश करने से उनको कम नुकसान होगा. या फिर ब्याज ज्यादा मिलेगा. ऐसे में आज हम आपको ELSS, PPF और FD स्कीम के बारे में डिटेल से बताने जा रहे हैं. किस स्कीम में कितना ब्याज मिलता है और किसमें ज्यादा फायदा होता है?

ईएलएसएस, पीपीएफ बनाम एफडी
  • ELSS- जिन्हें इसकी जानकारी नहीं है, उन्हें बता दें कि इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम या ईएलएसएस, म्यूचुअल फंड का एक प्रकार है जो धारा 80सी के तहत सालाना 1.5 लाख रुपये तक की छूट देता है. ये म्यूचुअल फंड शेयरों में निवेश करते हैं और इनकी लॉक-इन अवधि तीन साल की होती है. सेबी के नियमों के अनुसार, ईएलएसएस म्यूचुअल फंडों को अपनी कुल राशि का कम से कम 80 प्रतिशत शेयरों में लगाना होता है.
  • PPF- वहीं, पब्लिक प्रोविडेंट फंड एक सरकारी बचत योजना है जो पक्का रिटर्न देती है. पीपीएफ पर अभी ब्याज दर 7.1 प्रतिशत प्रति वर्ष है. ईएलएसएस की तरह, पीपीएफ में निवेश पर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत हर साल 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है. पीपीएफ में 15 साल की लंबी लॉक-इन अवधि होती है.
  • FD- एफडी भी बैंकों द्वारा दी जाने वाली एक निवेश योजना है जो थोड़ी कम ब्याज दर लगभग 6-6.5 प्रतिशत प्रति वर्ष देती है. इन पर कोई कर छूट नहीं मिलती और इनसे होने वाली कमाई पर कर लगता है. हालांकि, इनमें कोई लॉक-इन अवधि नहीं होती है.
  • कहां मिलेगी ज्यादा छूट?

    नई कर व्यवस्था में ईएलएसएस और पीपीएफ में निवेश पर छूट नहीं मिलती, तो क्या निवेशकों को इनसे दूर रहना चाहिए? मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञ किसी निवेश को सिर्फ कर बचत के लिए देखने की सलाह नहीं देते. नई कर व्यवस्था में टैक्स बचाने के लिए किसी निवेश की जरूरत नहीं है. इससे ईएलएसएस फंड्स में पैसे आने में कमी आई है क्योंकि कई मध्यम आय वर्ग के लोग नई कर व्यवस्था चुन रहे हैं, जो डिफॉल्ट विकल्प भी है. लेकिन निवेश की बात करें तो इसे सिर्फ टैक्स बचाने के लिए नहीं, बल्कि अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए करना चाहिए. ईएलएसएस उन लोगों के लिए अभी भी अच्छा है जो शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं और निवेश में अनुशासन रखना चाहते हैं. चूंकि ईएलएसएस में लगाया पैसा 3 साल तक नहीं निकाला जा सकता, इसलिए यह निवेशकों को कम से कम 3 साल तक शेयरों में लगा रहने और मुनाफा कमाने के लिए प्रेरित करता है.

    कहां मिलता है ज्यादा रिटर्न

    रिटर्न की बात करें तो पीपीएफ निवेश एफडी से दो कारणों से बेहतर है. पहला, यह एफडी पर मिलने वाले 6-7 प्रतिशत ब्याज की तुलना में 7.1 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज देता है. वहीं, ईएलएसएस को अन्य दो विकल्पों से भी बेहतर माना जा रहा है. एक पूरी श्रेणी के रूप में, ईएलएसएस म्यूचुअल फंडों ने पिछले तीन वर्षों में औसतन 17.10% प्रति वर्ष का रिटर्न दिया है. जहां पीपीएफ अभी 15 साल की लॉक-इन अवधि के साथ 7.1% का पक्का रिटर्न देता है और एफडी 5 साल की लॉक-इन के साथ लगभग 7% रिटर्न देते हैं, वहीं शेयरों से जुड़े ईएलएसएस फंडों ने औसतन 5 साल में 20% से ज्यादा का सालाना रिटर्न दिया है. बाजार से जुड़े होने के बावजूद, इनका 3 साल का छोटा लॉक-इन और लंबे समय में पैसा बढ़ाने की क्षमता इन्हें खासकर युवा निवेशकों के लिए आकर्षक बनाती है.

    म्यूचुअल फंड विविधीकरण, प्रोफेशनल प्रबंधन और आसान निकासी की सुविधा भी देते हैं जो सीधे शेयरों या फिक्स्ड इनकम विकल्पों में नहीं होती. दिलचस्प बात यह है कि नई कर व्यवस्था की ओर बढ़ती रुचि के कारण वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में 1,600 करोड़ रुपये की निकासी के बावजूद, ईएलएसएस उन निवेशकों के लिए सबसे अच्छा साधन बना हुआ है जो पुरानी व्यवस्था में रहते हैं और कर बचत के साथ विकास चाहते हैं.

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