मुंबई, 28 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा आईआईटी बॉम्बे के नाम को लेकर की गई टिप्पणी ने राजनीतिक रंग ले लिया है। विपक्षी दल इसकी निंदा कर रहे हैं। इस बीच भाजपा नेता और पूर्व राज्यपाल राम नाईक का भी बड़ा बयान सामने आया है।
आईएएनएस से खास बातचीत में राम नाईक ने कहा कि डॉ. जितेंद्र सिंह हाल ही में आईआईटी बॉम्बे आए और वहां उन्होंने जो बात कही, शायद उन्हें खुद भी ठीक से पता नहीं था कि यह मामला 25 साल पुराना है। आईआईटी सबको हर भाषा में ज्ञान देती है, लेकिन जब सरकार ने इस विषय पर एक ऑर्डिनेंस निकाला था, उसका भी ध्यान नहीं रखा गया। उनके मुताबिक, यह बात एक नजरिए से काफी गंभीर है।
राम नाईक ने बताया कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें उन्होंने उस पुराने ऑर्डिनेंस की कॉपी भी भेजी है। उन्होंने मंत्री से यह भी कहा कि हो सकता है आपको इस बात की जानकारी न हो, लेकिन बेहतर होगा कि आप खेद जताएं। उनका कहना है कि जो लोग इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, उन्हें भी शायद यह नहीं मालूम कि राम नाइक ने यह मुद्दा पहले ही उठाया था।
उन्होंने एक पुराना किस्सा भी साझा किया जब वह पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने बताया कि शपथ लेने से पहले उन्हें जो कागज दिया गया था, उसमें उनका नाम ‘राम नायक’ और शहर का नाम ‘बंबई’ लिखा हुआ था। उन्होंने अगले ही दिन लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर गलती बताई। उन्होंने कहा कि मेरा सरनेम नाईक है, नायक नहीं। यह पहली गलती है। और दूसरी बात, मेरे शहर का नाम मुंबई है, बंबई नहीं।
राम नाईक ने कहा कि व्याकरण का नियम है कि विशेष नामों का अनुवाद नहीं होता। इसलिए शहर का नाम जैसे है वैसे ही लिखा जाना चाहिए। इस पर संसद में काफी चर्चा भी हुई। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आपके नाम को तो ठीक कर सकते हैं, लेकिन शहर के नाम को बदलने का असर पूरे देश में पड़ेगा, इसलिए यह गृह मंत्रालय तय करेगा। उसके बाद ही होम मिनिस्टर ने इस मुद्दे पर एक आधिकारिक ऑर्डिनेंस जारी किया था। राम नाईक का कहना है कि इस इतिहास को समझे बिना आज नए बयान दिए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 24 नवंबर को राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के तहत आईआईटी बॉम्बे में क्वांटम तकनीक से जुड़ी अत्याधुनिक सुविधाओं का उद्घाटन किया।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जहां तक आईआईटी बॉम्बे का सवाल है, शुक्र है कि इसका नाम अभी भी यही है और यह नाम (आईआईटी) मद्रास के लिए भी सही है। यह आईआईटी मद्रास ही रहेगा।
--आईएएनएस
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