दिल्ली के मयूर विहार में रहने वाले प्रमोद (36) को पिछले 6 महीने से बहुत ज्यादा कब्ज की शिकायत थी. उनको अकसर पेट में दर्द रहता था. इसके लिए वह मेडिकल स्टोर से कभी चूर्ण तो कभी पेट दर्द की दवा खा लेते थे. इससे आराम भी लग जाता था, लेकिन पिछले एक महीने से उनको टॉयलेट के बाद खून आ रहा था. पहले तो उन्होंने इसको नजरअंदाज किया, लेकिन जब समस्या बढ़ गई तो वह डॉक्टर के पास गए. डॉक्टर ने कुछ टेस्ट और अल्ट्रासाउंड किए तो पता चला कि प्रमोद को बवासीर है. ये सुनते ही वह घबरा गए और डॉक्टर से कई तरह के सवाल किए. डॉक्टर ने कहा कि समस्या बढ़ी हुई है, लेकिन फिलहाल दवाओं से काम चल जाएगा. अगर आराम नहीं हुआ तो सर्जरी करनी होगी.
ये सुनने के बाद प्रमोद घर आ गए और अपनी ये समस्या किसी से साझा नहीं की और फिर पहले की तरह चुर्ण खाते रहे. इससे हुआ कि उनकी ब्लीडिंग काफी बढ़ गई और अब डॉक्टर के पास गए तो उन्होंने कहा कि दवा समय पर न लेने से बीमारी बढ़ गई है और अब एक दो दिन में ही सर्जरी करनी होगी नहीं तो सेहत काफी खराब हो सकती है. ये सुनकर प्रमोद ने सर्जरी कराई है. डॉक्टर ने उनको 15 दिन आराम करने की सलाह दी है.
प्रमोद का इलाज करने वाले जीटीबी हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के डॉ अजीत कुमार बताते हैं कि बवासीर उन बीमारियों में है जिनके बारे में मरीज बात करने में हिचकिचाते हैं. वह इसके लक्षणों को असुविधाजनक मानते हैं. यहां तक की डॉक्टर के पास भी नहीं आते हैं. कुछ लोग महीनों तक घरेलू नुस्खों से इलाज करते रहते है. जब स्थिति बिगड़ जाती है तब ही आते हैं. इस कारण कई मामलों में इलाज में काफी देरी हो जाती है और सर्जरी ही करनी पड़ती है.
बवासीर क्यों होती है?सर गंगा राम अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट और हेपेटो-बिलियरी सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. उषस्त धीर (Dr. Ushast Dhir) बताते हैं कि बवासीर एक आम बीमारी है और इसके मरीजों की संख्या पहले की तुलना में बढ़ी है. इसका मुख्य कारण लंबे समय से बना हुआ कब्ज है, जो गलत खानपान से होता है.
डॉ धीर बताते हैं कि व्यक्ति के मलाशय और गुदा के पास कई छोटी- छोटी नसें होती है जब कब्ज के कारण कोई व्यक्ति फ्रेश होने के लिए जोर लगाता है तो इन नसों पर दवाब पड़ता है. ये नसे सूज जाती है और इसको बवासीर कहते हैं.
डॉ धीर कहते हैं कि ये बीमारी एक दिन या महीने में नहीं होती, सालों से बनी कब्ज से ये होती है. कब्ज के अलावा खाने में फाइबर की कमी, ज्यादा तला भूना भोजन और लगातार बैठकर काम करने से भी ये समस्या हो जाती है. चिंता की बात यह है कि अब कम उम्र में लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं .लक्षणों की जानकारी न होना या बीमारी को छुपाने से समस्या बढ़ रही है और यही कारण है कि लोग इलाज के लिए देरी से आते हैं.
(बवासीर)
लोग बवासीर को छुपाते क्यों हैं?दिल्ली एम्स में गैस्ट्रोलॉजी विभाग के पूर्व डॉ. अनन्य गुप्ता बताते हैं कि बवासीर के अधिकतर मरीज इस बीमारी को छुपाते हैं और सोचते हैं कि किसी को पता चलेगा तो लोग क्या सोचेंगे, जबकि ये गलत है. बवासीर भी किसी दूसरी बीमारी की तरह ही है जिसका समय पर इलाज होना चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि आप इसके लक्षणों को नजरअंदाज न करें.
अगर किसी व्यक्ति को टॉयलेट के बाद खून आना, गुदा में जलन, दर्द, खुजली, मल त्यागते समय अत्यधिक दर्द या बार-बार कब्ज हैं तो डॉक्टर के पास जाना जरूरी है.
क्या है इलाज, किस डॉक्टर से मिलेंडॉ गुप्ता कहते हैं कि मरीज सोचते हैं कि इसका इलाज केवल सर्जरी है, लेकिन ऐसा नहीं है. अगर पहले ग्रेड में बीमारी का पता चल जाए तो कब्ज खत्म करने वाली दवाओं और सही डाइट से इसको ठीक किया जा सकता है. शुरुआती स्टेज में 90% मरीज सर्जरी के बिना ठीक हो जाते हैं. हां, अगर बीमारी ग्रेड 4 में चली जाए तो फिर स्टेपलर हेमोरॉयड सर्जरी और लेजर सर्जरी से इलाज किया जाता है.
डॉ गुप्ता के मुताबिक, अगर आपको बवासीर के लक्षण दिख रहे हैं तो किसी भी अस्पताल में जाकर पेट के डॉक्टर यानी गैस्ट्रोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए. डॉक्टर आपकी कुछ जांच करेंगे और इसके बाद बीमारी के ग्रेड के हिसाब से इलाज होगा.
कब्ज
बवासीर न हो इसके लिए क्या करना चाहिएडॉ. गुप्ता बताते हैं कि बवासीर से बचने के लिए जरूरी है कि व्यक्ति को कब्ज न हो. इसके लिए डाइट में फाइबर शामिल करें. दलिया, सलाद, फल, सब्जियां खाएं. पानी की शरीर में कमी न होने दें और दिन में कम से कम 7 से 8 गिलास पानी पीएं.
टॉयलेट में मोबाइल न ले जाएं और लंबे समय तक न बैठें मसालेदार और तला-भुना कम करें. अगर आपको कब्ज हैं तो खुद से कोई दवा न लें. इस मामले में डॉक्टर से सलाह लें.