Margashirsha Purnima Vrat Katha: मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, कर्ज से मिलेगा छुटकारा!
TV9 Bharatvarsh December 04, 2025 09:42 PM

Margshirsha Purnima Katha: मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा आज 4 दिसंबर को मनाई जा रही है. साल का आखिरी अमावस्या होने के कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. इसी वजह से इसे धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास माना जा रहा है. पूर्णिमा पर भगवान विष्णु, चंद्र देव और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. गुरुवार के दिन पड़ने के कारण यह सत्यनारायण भगवान की कृपा प्राप्ति का एक शुभ अवसर है. ऐसे में इस दिन आप पूर्णिमा की कथा का पाठ जरूर करें. व्रत कथा का पाठ करने से श्रीहरि की विशेष कृपा बरसती है.

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कथा (Margashirsha Purnima Vrat Katha)

मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पौराणिक कई कथाएं हैं, जिनमें से दो प्रमुख हैं: एक सत्यनारायण व्रत कथा और दूसरी महर्षि अत्रि और माता अनुसूया से संबंधित है. आइए इन दोनों कथा को विस्तार से पढ़ते हैं.

सत्यनारायण व्रत कथा

यह कथा भगवान विष्णु और नारद मुनि के बीच बातचीत से शुरू होती है. पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार नारद मुनि ने मृत्यु लोक में मनुष्य को दुखी और पीड़ित देखकर भगवान विष्णु से इसका उपाय पूछा. भगवान विष्णु ने उन्हें सत्यनारायण व्रत का महात्म्य बताया, जो सभी कष्टों को दूर करता है और मनोवांछित फल प्रदान करता है.

भगवान विष्णु ने नारद मुनि को सत्यनारायण व्रत की पूरी विधि बताई, जिसमें भक्ति और श्रद्धा से पूजन करना और ब्राह्मणों को भोजन कराना शामिल है. यह कथा सुनने के बाद नारद मुनि ने पृथ्वी पर आकर लोगों को सत्यनारायण व्रत की महिमा बताई, ताकि वे अपने दुखों से मुक्त हो सकें.

महर्षि अत्रि और माता अनुसूया की कथा

यह कथा महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी माता अनुसूया के बारे में है, जो अपनी तपस्या और सतीत्व के लिए प्रसिद्ध थे.एक दिन त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) उनकी परीक्षा लेने के लिए भिक्षुओं के रूप में उनके आश्रम में पहुंचे और उन्होंने अनुसूया से निर्वस्त्र होकर भोजन कराने की शर्त रखी.

माता अनुसूया ने पहचान लिया कि वे त्रिदेव हैं, जिसके बाद उन्होंने अपने सतीत्व और तपबल से तीनों देवताओं को छोटे बच्चों में बदल दिया और उन्हें निर्वस्त्र होकर भोजन कराया. माता अनुसूया के इस कार्य से प्रसन्न होकर त्रिदेवों ने उन्हें वरदान दिया और उनके यहां एक पुत्र के रूप में जन्म लिया, जो बाद में भगवान दत्तात्रेय के रूप में जाने गए. इसी कारण मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान दत्तात्रेय की पूजा की जाती है.

(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.