मनरेगा खत्म… नई रोजगार स्कीम में बदला पैसों का नियम, किसानों के आएंगे अच्छे दिन!
TV9 Bharatvarsh December 17, 2025 12:42 AM

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार नई रोजगार स्कीम लाने जा रही है. इस स्कीम के आने के बाद मनरेगा खत्म हो जाएगा और इसकी जगह नई योजना ले लेगी. सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (Mgnrega) को खत्म करने और इस संबंध में एक नया कानून बनाने के लिए लोकसभा में विधेयक लाने जा रही है. नई योजना किसानों के लिहाज से बहुत अच्छी मानी जा रही है, हालांकि विपक्ष इस योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने की कोशिश की आलोचना कर रहा है.

इस नए बिल का नाम विकसित भारत-रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) (Viksit Bharat- Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission (Gramin): VB-G Ram G Bill, 2025) होगा. इस नए बिल को ही विकसित भारत- जी राम जी, विधेयक-2025 कहा जा रहा है. मनरेगा साल 2005 से ही अस्तित्व में है. अब सरकार इसका नाम बदलकर पूज्य बापू रोजगार गारंटी योजना करने जा रही है.

नई स्कीम में राज्यों की भी तय होगी भूमिका

इस बिल में राज्यों को अधिक अधिकार दिए गए हैं, जिससे वे स्थानीय और क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार यह तय कर सकें कि श्रम शक्ति का उपयोग किन प्राथमिक कामों में किया जाए. पीएम गति शक्ति से जुड़ाव की वजह से योजना में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और कामों की दोहराव की संभावना भी खत्म होगी. विस्तृत विकसित ग्राम पंचायत योजनाएं तैयार की जाएंगी ताकि गांव भी विकसित भारत @2047 के राष्ट्रीय विकास विजन का सक्रिय हिस्सा बन सकें.

नए बिल से केंद्र ही नहीं राज्यों की भी जवाबदेही तय होगी, क्योंकि पहले पूरा पैसा केंद्र सरकार दिया करती थी लेकिन अब केंद्र और राज्य सरकारों का शेयर 60:40 का होगा. सामान्य राज्यों के लिए लागत साझा करने का अनुपात 60:40 रखा गया है, जबकि पूर्वोत्तर तथ हिमालयी राज्यों के लिए यह शेयर 90:10 का होगा. इस तरह से अब राज्य सरकारें भी इस स्कीम पर पैसे खर्च करेंगी तो काम और फंड दोनों की बेहतर मॉनिटरिंग भी होगी.

नई योजना से खेती-किसानी में राहत

केंद्र की ओर से रोजगार गारंटी योजना चलाए जाने की वजह से खेती के सीजन में खेतों में काम करने के लिए मजदूर या कामगार नहीं मिलने की लगातार शिकायतें आती रहती थीं. लेकिन इस नए बिल में इसका समाधान तलाश लिया गया है. इस संकट को दूर किया गया है. 125 दिनों की रोजगार गारंटी यथावत रहेगी, लेकिन लोगों को खेती और खेती संबंधित गतिविधियों, यहां तक कि अपने खुद के खेतों पर भी काम करने की लचीलापन दिया जाएगा.

अब राज्यों को अधिकार दिया गया है कि खेती जैसे बुवाई, कटाई के समय वो मजदूरों की उपलब्धता के लिए एक साल में 60 दिनों सार्वजनिक काम रोक सकते हैं लेकिन ये रोक लगातार 60 दिन से अधिक नहीं होनी चाहिए, बल्कि 10-15 दिन का हो ताकि सार्वजनिक काम ज्यादा दिनों तक बाधित न रहे. साथ ही खेती के सीजन में मजदूरी महंगाई पर भी नियंत्रण बना रहे. इससे मजदूर खेती के सीजन में अपने खेत में भी काम कर सकेंगे.

विकसित ग्राम पंचायत प्लान बनाने की तैयारी

नए कानून के तहत मजदूरों को 25 फीसदी अधिक रोजगार के अवसर मिलेंगे. डिजिटल उपस्थिति, आधार कार्ड आधारित सत्यापन और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान को अनिवार्य किया गया है. यदि समय पर काम उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो मजदूरों को बेरोजगारी भत्ता देना राज्यों के लिए अनिवार्य होगा. अभी देश में करीब 40 लाख लोग 100 दिन ग्रामीण रोजगार की योजना का लाभ ले रहे हैं. अब नई योजना के तहत 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दिया जाएगा. मनरेगा सालभर चलता था, लेकिन नई योजना खेती के सीजन के दौरान स्थगित रहेगी.

विकसित ग्राम पंचायत प्लान बनाया जाएगा, फिर उसे गति शक्ति स्कीम से जोड़ा जाएगा ताकि कामों का दोहरापन ना हो. ग्राम पंचायत की जरूरत के हिसाब से काम होंगे ताकि यह पता किया जा सके किस इंफ्रास्ट्रक्चर की गांव में जरूरत है. जैसे आंगनबाडी भवन आदि और फिर उसके हिसाब से काम और फंड का आवंटन किया जाएगा.

प्राकृतिक आपदा के दौरान भी होगा काम

राष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा के दौरान भी इस योजना के तहत काम हो सकेगा. अभी 1,51,282 करोड़ रुपए के आवंटन का प्रावधान रखा गया है, जबकि पिछले साल 86,000 करोड़ रुपए था.

पंचायतों में कितना काम हुआ है उसके हिसाब से उसकी A, B, और C ग्रेडिंग होगी. मसलन हर एक पंचायत में काम हो और वह विकसित बने. उसके लिए जहां काम कम हुआ और जरूरत है और जहां काम बहुत हुआ उसके हिसाब से ग्रेडिंग तय की जाएगी ताकि कम विकसित पंचायत में इस योजना के तहत ध्यान दिया जा सके और वहां भी काम हो सके.

ग्राम पंचायतों के सुझावों के आधार पर गांवों को A, B और C कैटेगरी में रखा जाएगा, जिससे राज्य यह तय कर सकेंगे कि किस पंचायत में सबसे जरूरी विकास कार्यों पर ध्यान देना है और अधिक भागीदारी को बढ़ावा दिया जा सके.

नई योजना के लिए चार प्राइमरी क्षेत्र तय

VBG RAM G बिल के तहत ग्रामीण विकास के लिए 4 प्राइमरी क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है, जल सुरक्षा से जुड़े कार्य, कोर ग्रामीण अवसंरचना, अत्यधिक मौसमीय घटनाओं से निपटने के लिए विशेष कार्य और आजीविका से संबंधित अवसंरचना शामिल है.

इसे भी पढ़ें — मनरेगा में पिछले 5 साल में किसी भी राज्य में नहीं मिला पूरे 100 दिन का काम, देखिए राज्यवार आंकड़े

इनके तहत बनाई गई सभी परिसंपत्तियों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक में जोड़ा जाएगा, जिससे योजनाओं का समन्वय और निगरानी बेहतर हो सकेगी.

नाम बदलने पर विपक्ष के तेवर तीखे

हालांकि विपक्ष ने मनरेगा के स्थान पर नया कानून बनाने की तैयारी के बीच सवाल उठाया कि आखिर इस योजना से महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है. सरकार के कदम के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, “जब भी किसी योजना का नाम बदला जाता है, तो कार्यालयों, स्टेशनरी में बहुत सारे बदलाव करने पड़ते हैं, जिस पर बहुत पैसे खर्च होते हैं, तो इसका क्या फायदा है? ऐसा क्यों किया जा रहा है?”

महात्मा गांधी का नाम हटाए जाने पर निराशा जताते हुए प्रियंका ने कहा, “महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है. गांधी न केवल देश में, बल्कि दुनिया में सबसे बड़े नेता माने जाते हैं, अब उनका नाम हटाना, मुझे वास्तव में समझ में नहीं आता कि मकसद क्या है. उनका (सरकार) इरादा क्या है?” तृणमूल कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद डेरेक ओब्रायन ने सरकार के इस कदम को महात्मा गांधी का अपमान करार दिया.

© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.