अंतरराष्ट्रीय 'डिजिटल अरेस्ट' ठगी गिरोह का पर्दाफाश, मास्टरमाइंड समेत 10 गिरफ्तार
Udaipur Kiran Hindi December 17, 2025 03:42 AM

New Delhi, 16 दिसंबर (Udaipur Kiran) . दक्षिण-पूर्व जिला पुलिस की शाहीन बाग थाना टीम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय एक बड़े डिजिटल ठगी व उगाही गिरोह का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने इस मामले में गिरोह के मास्टरमाइंड समेत 10 आरोपितों को गिरफ्तार किया है. जांच में सामने आया है कि आरोपितों के खिलाफ राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर 66 शिकायतें दर्ज हैं और करीब 50 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का लेन-देन इनसे जुड़ा हुआ है. गिरोह के दो अन्य सदस्य अभी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है.

पुलिस ने इस कार्रवाई के तहत दिल्ली, केरल, Maharashtra (मुंबई), ओडिशा, Punjab, उप्र और Haryana सहित सात राज्यों में एक साथ छापेमारी की. इस दौरान एक आरोपी को मुंबई एयरपोर्ट से उस वक्त गिरफ्तार किया गया, जब वह दुबई भागने की फिराक में था.

दक्षिण पश्चिम जिले के पुलिस उपायुक्त डॉ. हेमंत तिवारी ने मंगलवार को पुलिस मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर बताया कि सात दिसंबर को शाहीन बाग निवासी तनबीर अहमद ने शिकायत दर्ज कराई थी. पीड़ित ने बताया कि उसे व्हाट्सऐप वीडियो कॉल के जरिए धमकाया गया. कॉल करने वालों ने खुद को कर्नाटक पुलिस अधिकारी बताया और कहा कि उसका आधार नंबर व मोबाइल नंबर गंभीर अपराधों में इस्तेमाल हुआ है. गिरफ्तारी के डर से पीड़ित ने 99,888 रुपये ठगों के बताए खाते में ट्रांसफर कर दिए. इस शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की गई.

तकनीकी निगरानी से खुली परतें

पुलिस उपायुक्त ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए थाना शाहीन बाग में विशेष टीम गठित की गई. टीम ने वित्तीय लेन-देन, तकनीकी सुराग और डिजिटल ट्रेल का गहन विश्लेषण किया. लगातार तकनीकी निगरानी और फील्ड इनपुट के आधार पर आरोपितों की लोकेशन ट्रैक की गई. दिल्ली, उप्र, केरल, Maharashtra, Haryana, Rajasthan और ओडिशा में फैले नेटवर्क को खंगालते हुए पुलिस ने रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट जैसे अहम स्थानों पर दबिश देकर आरोपितों को दबोच लिया. पुलिस अधिकारी के अनुसार अब तक गिरोह के 10 मुख्य सदस्यों को पकड़ा गया है. इनमें म्यूल अकाउंट होल्डर, फसिलिटेटर, सिम एक्टिवेशन और फंड हैंडलर शामिल हैं. पकड़ा गया धर्मेंद्र चौहान म्यूल अकाउंट जुटाने और ठगी की रकम निकालने में सक्रिय भूमिका निभा रहा था. वहीं सोमवीर सैनी गिरोह को वाहन और म्यूल अकाउंट उपलब्ध कराने का काम करता था. जबकि

मो. एहतेशामुल हक मुख्य समन्वयक, म्यूल अकाउंट के जरिए रकम घुमाने और कैश हैंडओवर में शामिल था. इसी क्रम में संतोष कुमार खंडाई अवैध सिम एक्टिवेशन और व्हाट्सऐप अकाउंट की मदद करता था. इसके अलावा मुहम्मद बुगारी ठगी की रकम हैंडल करने वाला अहम सदस्य था. इसके खातों पर एनसीआरपी में कई शिकायतें दर्ज. वहीं मुहम्मद शाहिद डेबिट कार्ड और संचार व्यवस्था का संचालन करता था.

पुलिस के अनुसार, कई आरोपित पहले भी साइबर ठगी के मामलों में शामिल रह चुके हैं, जिससे साफ है कि यह एक संगठित और अनुभवी साइबर अपराध नेटवर्क है. जांच में सामने आया कि आरोपित ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर लोगों को डराते थे. खुद को पुलिस, सीबीआई या अन्य एजेंसी का अधिकारी बताकर व्हाट्सऐप वीडियो कॉल करते, फर्जी केस दिखाते और आधार/मोबाइल नंबर के दुरुपयोग का हवाला देकर पैसे ट्रांसफर करवा लेते थे. पुलिस ने आराेपिताें के कब्जे से 10 मोबाइल फोन, 2 डेबिट कार्ड (जिसमें पीड़ित की रकम वाला कार्ड भी शामिल), 10 अन्य डेबिट/क्रेडिट कार्ड, कई आरोपिताें के नाम से जारी डेबिट कार्ड, व्हाट्सऐप चैट, वॉयस नोट्स, बैंक ट्रांजेक्शन और अन्य डिजिटल सबूत और एक बलेनो कार

बरामद की है. वहीं आरोपितों की सहायता करने वाले आरोपितों की पहचान नितेश कुमार, देव और महेश्वर पुंटिया के रूप में हुई है.

पुलिस की जनता से अपील

दक्षिण-पूर्व जिला पुलिस ने जनता से अपील की है कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी किसी भी कॉल से सावधान रहें. कानून में ऑनलाइन गिरफ्तारी का कोई प्रावधान नहीं है. पुलिस कभी भी व्हाट्सऐप या वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी की धमकी नहीं देती. किसी भी तरह की कॉल पर घबराएं नहीं, तुरंत कॉल काटें. इसके अलावा ओटीपी , बैंक डिटेल या दस्तावेज साझा न करें. वहीं ऐसी किसी भी घटना का शिकार हो तो तुरंत 1930 हेल्पलाइन या http://www.cybercrime.gov.in पर तुरंत सूचना दें. पुलिस का कहना है कि जागरूकता ही साइबर अपराध के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है.

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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी

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