भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह टी20 क्रिकेट के सबसे चतुर कप्तानों में से एक हैं। उनके नेतृत्व में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को उनके घरेलू मैदानों पर 3-1 से हराकर सीरीज पर कब्जा किया। हालांकि, उनके बल्ले की खामोशी टीम के लिए थोड़ी चिंता का विषय बनी हुई है।
• कप्तानी की सफलता: सीरीज के दौरान सूर्यकुमार ने गेंदबाजी में साहसिक बदलाव किए और युवा खिलाड़ियों जैसे तिलक वर्मा और हर्षित राणा पर भरोसा जताया। उनकी इसी रणनीति की बदौलत भारत ने दक्षिण अफ्रीका को बड़े अंतर से मात दी। वह अब टी20 में भारत के सबसे सफल कप्तानों की सूची में ऊपर आ गए हैं।
• बल्लेबाजी में गिरावट: कप्तानी के दबाव या फॉर्म की कमी के कारण सूर्या इस पूरी सीरीज में केवल 50 रन के आंकड़े को छूने के लिए संघर्ष करते दिखे। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 4 मैचों में उनका औसत 15 से भी कम रहा, जिसके चलते उनकी आईसीसी टी20 रैंकिंग पर भी असर पड़ा है।
• तिलक वर्मा को बढ़ावा: सूर्या की कप्तानी की सबसे बड़ी उपलब्धि तिलक वर्मा को नंबर 3 पर बल्लेबाजी के लिए भेजना रही। उन्होंने खुद अपना पसंदीदा स्थान तिलक के लिए छोड़ दिया, जिसके परिणामस्वरूप तिलक ने लगातार दो शतक जड़कर इतिहास रच दिया। सूर्या ने मैच के बाद कहा कि टीम की जीत और युवाओं का विकास उनके व्यक्तिगत रनों से ज्यादा महत्वपूर्ण है।