नेशनल हेराल्ड केस : सोनिया, राहुल को दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस
Webdunia Hindi December 22, 2025 09:45 PM

National Herald Case : दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी, सोनिया गांधी और अन्य के खिलाफ मनी-लॉन्ड्रिंग शिकायत पर ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने ईडी की चार्जशीट को संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को लोगों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और आर. एस. चीमा ने अदालत में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की ओर से दलीलें दीं।

दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की ईडी की याचिका पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च 2026 को होगी। हाईकोर्ट में ईडी ने 16 दिसंबर के ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि एजेंसी की शिकायत पर संज्ञान लेना कानूनन अस्वीकार्य है, क्योंकि यह किसी एफआईआर पर आधारित नहीं है।

विशेष जज विशाल गोगने ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए कहा था कि गांधी परिवार पुलिस की एफआईआर पाने का हकदार नहीं। दरअसल मजिस्ट्रेट कोर्ट ने गांधी परिवार को नेशनल हेराल्ड मामले में एफआईआर की प्रति देने का निर्देश दिया था। विशेष जज ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को चुनौती वाली दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश सुनाया। जज ने हालांकि कि कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में आरोपियों को यह सूचना दी जा सकती है कि एफआईआर दर्ज की है।

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 3 अक्टूबर को कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

क्या है मामला : नेशनल हेराल्ड जिसका प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड करती थी उसकी स्थापना जवाहलाल नेहरू ने 1937 में की थी। नेशनल हेराल्ड को कांग्रेस का मुख्य पत्र माना जाता था। आजादी की लड़ाई में राष्ट्रवादी समाचार पत्र के रुप में जाना पहचाने जाने वाला नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन 2008 में आर्थिक तंगी के कारण बंद कर दिया गया। नेशनल हेराल्ड का संचालन करने वाली कर्ज में डूबी एजेएल कंपनी ने 2010 में यह घोषणा कर दी कि वह कर्ज नहीं चुका सकती।

23 नंवबर 2010 को गांधी परिवार की एक नान-प्राफिट कंपनी यंग इंडियन सामने आई, जिसके निदेशक सुमन दुबे और सैम पित्रोदा जैसे लोग बने। 13 दिसंबर 2010 को राहुल गांधी को भी निदेशकों के बोर्ड में शामिल किया गया। इसके बाद एजेएल के शेयर एक डील कर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिए गए और 90 करोड़ का कर्ज 50 लाख लेकर माफ कर दिया गया। 22 जनवरी 2011 को सोनिया गांधी में इसकी निदेशक बन गई। यंग इंडियन की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी सोनिया-राहुल के पास है। दरअसल एजेएल को आर्थिक तंगी के कारण कांग्रेस पार्टी ने समय-समय पर 90 करोड़ रुपये उधार दिए थे। जबकि यह द रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट 1950 का उल्लंघन है। इसके मुताबिक कोई राजनीतिक पार्टी किसी को कर्ज नहीं दे सकती।

साल 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था। आरोप लगाया गया कि कांग्रेसी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कब्जे के लिए यंग इंडियन लिमिटेड ऑर्गेनाइजेशन बनाया और उसके जरिए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) का अवैध अधिग्रहण कर लिया।

सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप था कि ऐसा दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपए की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया था। स्वामी ने 2000 करोड़ रुपए की कंपनी को केवल 50 लाख रुपए में खरीदे जाने को लेकर सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत केस से जुड़े कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी।

जून 2014 ने कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया। अगस्त 2014 में ED ने इस मामले में एक्शन लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। दिसंबर 2015 में दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को जमानत दे दी।

edited by : Nrapendra Gupta

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