हाथों में दर्द और सुन्नपन महसूस हो रहा है? लैपटॉप या कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करने वाले लोगों के लिए यह कार्पल टनल सिंड्रोम का संकेत हो सकता है। धीरे-धीरे बढ़ने वाली यह समस्या रोजमर्रा के छोटे काम जैसे टाइपिंग, बटन लगाना या चीज़ उठाना भी मुश्किल बना सकती है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कार्पल टनल सिंड्रोम क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और इसे कैसे रोका जा सकता है।
कार्पल टनल सिंड्रोम क्या है
कार्पल टनल सिंड्रोम हाथ से जुड़ी आम समस्याओं में से एक है। यह तब होता है जब कलाई में स्थित कार्पल टनल के मध्य मीडियन नर्व पर लगातार दबाव पड़ता है। कार्पल टनल एक संकरा मार्ग है, जो हाथ की हड्डियों और लिगामेंट्स से घिरा होता है।
इसके प्रमुख लक्षण
- हाथ या उंगलियों में सुन्नपन
- उंगलियों में झनझनाहट या दर्द
- टाइपिंग या लिखने में परेशानी
- हाथों से बार-बार चीज़ें गिर जाना
- ग्रिप पकड़ने में दिक्कत
कौन ज्यादा खतरे में है
ऑफिस वर्कर्स और कंप्यूटर/लैपटॉप यूज़र्स ज्यादा प्रभावित होते हैं। लगातार हाथों को तानकर काम करने से कलाई और गर्दन की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ता है। लंबे समय तक टाइपिंग करने से टिशूज में सूजन होती है, जो मीडियन नर्व तक पहुंचकर दर्द और सुन्नपन पैदा करती है। उम्र, जेनेटिक्स और जीवनशैली भी इस समस्या में योगदान देते हैं।
बचाव के आसान उपाय
एर्गोनोमिक माउस का उपयोग: सही डिज़ाइन वाला माउस कार्पल टनल पर दबाव कम करता है। काम करते समय ध्यान रखें कि माउस से कलाइयों पर अतिरिक्त प्रेशर न पड़े।
सही पोश्चर अपनाएं: कंप्यूटर के सामने झुककर काम करना गर्दन, हाथ और कलाई पर दबाव डालता है। हमेशा सीधा बैठें और हाथों को आरामदायक स्थिति में रखें।
टाइपिंग तकनीक सुधारें: कलाई को अत्यधिक ऊपर या नीचे मोड़ने से बचें। कीबोर्ड को कुहनियों के स्तर पर या थोड़ा नीचे रखें।
ब्रेक लें: हर एक घंटे के बाद डेस्क से उठें और हाथ व कलाइयों को स्ट्रेच करें। यह मीडियन नर्व पर दबाव कम करता है।
सही ग्रिप चुनें: सिर्फ कंप्यूटर पर ही नहीं, लिखते समय भी कलाइयों को आराम देना जरूरी है। ओवरसाइज पेन का इस्तेमाल करें और थोड़ी-थोड़ी देर में हाथों को आराम दें।
इन सावधानियों को अपनाकर आप कार्पल टनल सिंड्रोम के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं और अपने हाथों और कलाइयों की सेहत बनाए रख सकते हैं।