बांग्लादेश में चुनाव से पहले बढ़ती हिंसा और हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे कथित अत्याचार के खिलाफ भारत में भी विरोध के स्वर तेज हो रहे हैं। दीपू चंद्र दास और अमृत मंडल जैसे हिंदू युवकों की हत्या की घटनाओं से आक्रोशित उत्तर बंगाल के मालदा और सिलीगुड़ी के होटल मालिकों ने बड़ा और प्रतीकात्मक फैसला लिया है। होटल कारोबारियों ने ऐलान किया है कि वे अब बांग्लादेशी नागरिकों को अपने होटलों में कमरे नहीं देंगे।
होटल मालिकों का कहना है कि यह फैसला बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा, हत्या और डर के माहौल के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए लिया गया है। उनका आरोप है कि पड़ोसी देश में चुनावी माहौल के बीच हिंदू समुदाय को लगातार निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन वहां की सरकार इस पर प्रभावी कार्रवाई करने में विफल रही है।
होटल एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारियों के अनुसार, हाल के दिनों में बांग्लादेश से सामने आई घटनाओं ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद अमृत मंडल की मौत ने यह साफ कर दिया है कि अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा गंभीर खतरे में है। होटल कारोबारियों ने कहा कि यह निर्णय किसी आम नागरिक के खिलाफ नहीं है, बल्कि एक शांतिपूर्ण विरोध है, ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस मुद्दे की ओर खींचा जा सके।
इस फैसले के पीछे भारत की सुरक्षा चिंताओं को भी एक बड़ा कारण बताया जा रहा है। होटल मालिकों का कहना है कि सीमावर्ती इलाकों में हालात पहले से ही संवेदनशील हैं और बांग्लादेश में अराजकता का असर भारत पर भी पड़ सकता है। ऐसे में सतर्कता बरतना जरूरी हो गया है।
गौरतलब है कि भारत सरकार भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर पहले ही चिंता जता चुकी है। केंद्र सरकार ने साफ किया है कि वह पड़ोसी देश में हालात पर नजर बनाए हुए है और उम्मीद करता है कि वहां की सरकार हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। हालांकि, जमीनी हालात को देखते हुए आम लोगों में नाराजगी लगातार बढ़ रही है।
मालदा और सिलीगुड़ी के होटल व्यवसायियों के इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे जरूरी और साहसिक कदम बता रहे हैं, वहीं कुछ का मानना है कि इससे आम नागरिकों और पर्यटन उद्योग पर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के फैसले भावनात्मक प्रतिक्रिया के रूप में सामने आते हैं, लेकिन इनके दीर्घकालिक प्रभावों पर भी विचार किया जाना चाहिए।
वहीं, बांग्लादेश सरकार की ओर से इन आरोपों को लेकर आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, वहां के प्रशासन का दावा है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बल तैनात हैं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।