Alwar सरिस्का में बाघों पर ध्यान, पैंथर दरकिनार, संरक्षण जरूरी
aapkarajasthan September 17, 2024 02:42 AM
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर सरिस्का बाघ अभयारण्य की बाघों की वजह से पहचान है। इन बाघों को देखने के लिए लाखों की संया में पर्यटक हर साल सरिस्का पहुंच रहे हैं। मगर इसी अभयारण्य में बघेरे भी विचरण कर रहे हैं, लेकिन इन पर सरिस्का प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।यही वजह है कि आज तक न तो इन बघेरों पर कोई शोध किया गया है और न ही इनकी गणना, जबकि 2005 में जब अभयारण्य बाघविहीन हो गया था, तब इन्हीं बघेरों ने सरिस्का को संभाला था। आज हालत यह है कि बघेरे बेमौत मारे जा रहे हैं, लेकिन इनकी सुरक्षा नहीं की जा रही।

हार्ड क्लाइमेट ने बनाया मजबूत: सरिस्का का हार्ड क्लाइमेट है। सर्दियों में जंगल में तापमान 1 डिग्री और गर्मियों में 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। यही वजह है कि यहां के बघेरे देश में सबसे मजबूत माने जाते हैं।

200 से ज्यादा हो सकती है संया : लैपर्ड की आज तक सरिस्का प्रशासन ने गणना नहीं की है, लेकिन वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार इनकी संया 200 से 250 के बीच में है।

आए दिन हो रही मौत: डहरा शाहपुर के अमृतवास में 21 जून की रात बिजली के तारों की चपेट में आने से एक मादा पैंथर और उसके दो शावकों की मौत हो गई।इससे पहले भी इसी क्षेत्र में तीन पैंथर मृत मिले थे।सरिस्का टाइगर कंजर्वेशन ऑर्गेनाइजेशन के सचिव चिन्मय मक मैसी ने बताया कि पैंथर के संरक्षण की दिशा में सरिस्का प्रशासन को काम करना होगा। हमारे यहां के पैंथर पूरे देश में सबसे ज्यादा मजबूत हैं। वन विभाग को पहले इनकी गणना करानी चाहिए। फिर इनके आहार-व्यवहार पर शोध होना चाहिए।

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