समानता के चक्कर में हमें धर्मशास्त्रों के नियमों को मानने से मना कर दिया जाए या फिर रोका जाए तब यह हम स्कीकार नहीं करना चाहते हैं. ऐसे में हम पर्सनल लॉ के तहत जीवन जीने की छूट चाहते हैं...यह हमारा मानना है. जैसे मुस्लिम पर्सनल लॉ से चलते हैं, वैसे ही हमारा भी होना चाहिए. हमारे धर्म में भी बहुत सारा हस्तक्षेप हुआ है, जिसे हटाया जाना चाहिए. यूसीसी सही नहीं है. हम बिल्कुल सही नहीं है. सभी को यूसीसी के तहत अपने धर्म में कटौती करनी पड़ेगी."
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, "सभी धर्म के लोग अगर सहमत हो गए होते तब भारत और पाकिस्तान अलग-अलग नहीं होते. उस समय कितने प्रयास हुए थे पर लोग सहमत नहीं हुए. ऐसे में एक जगह पर एक जैसे लोग रहें. मिलकर रहना और आपस में लड़ना किसी के लिए ठीक नहीं है. हिंदुस्तान में मुसलमान नहीं रहना चाहिए और पाकिस्तान में हिंदू नहीं रहना चाहिए. यह हमारा मानना है. रहीम ने यह बहुत पहले भांप लिया था. हम इस मामले में मोहम्मद अली जिन्नाह (टू नेशन थ्योरी के समर्थन के संदर्भ में) से सहमत हैं कि दोनों धर्मों के लोगों को अपनी-अपनी कॉलोनी में रहना चाहिए."