निचली अदालत से मिली आजीवन कारावास की सजा बरकरार
Newsindialive Hindi September 22, 2024 03:42 AM

नैनीताल, 21 सितंबर (हि.स.)। हाईकोर्ट ने निचली अदालत से हत्या के जुर्म में निचली अदालत से मिली आजीवन कारावास की सजा पाए व्यक्ति की अपील पर सुनवाई के बाद उसे खारिज कर दिया है। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले में हस्तक्षेप न करते हुए आदेश की पुष्टि की है और उसकी आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है ।

मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार 16 सितंबर 2008 को गुलाबघाटी रानीबाग में रूपकिशोर नामक व्यक्ति की हत्या की गई थी। इस मामले में रूपकिशोर के पुत्र उमेश कुमार ने काठगोदाम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें बताया गया कि वह अपने पिता के साथ बाइक में मजदूरी करने के बाद घर लौट रहे थे। तभी पीछे से दूसरी बाइक से आ रहे उसके चचेरे भाई बसंत उर्फ छोटू पुत्र स्व. भगवान दास निवासी गुसाईं नगर हल्द्वानी ने पिस्तौल से तीन राउंड गोली चलाई। जिसमें उसके पिता की मौत हो गई।

इस मामले में अपर जिला सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी ने 12 दिसंबर 2012 को निर्णय देते हुए हत्यारोपी को हत्या का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा व 5 हजार रुपये अर्थदण्ड, 25 आर्म्स एक्ट में एक साल की सजा व एक हजार रुपये की सजा सुनाई थी । जिसके खिलाफ बसंत उर्फ छोटू ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।

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