संघीय व्यवस्था पर कब्जा करने जैसा है… एक राष्ट्र, एक चुनाव के खिलाफ बोले केरल के मुख्यमंत्री
Rajesh Kumar October 10, 2024 06:53 PM

केंद्र सरकार और बीजेपी की महत्वकांक्षी एजेंडा एक राष्ट्र, एक चुनाव पर राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है. अब तक विपक्षी पार्टियां इसके खिलाफ बयान दे रही थीं, लेकिन आज बृहस्पतिवार को केरल विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह “एक राष्ट्र, एक चुनाव” के प्रस्ताव को मंजूरी देने के अपने फैसले को वापस ले.केरल विधानसभा ने केंद्र सरकार के इस फैसले को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बताया है. यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की ओर से राज्य के विधायी कार्य मंत्री एम. बी. राजेश ने पेश किया. राजेश ने कहा कि यह प्रस्ताव देश की संघीय प्रणाली को कमजोर करेगा और भारत के संसदीय लोकतंत्र की विविधता को नुकसान पहुंचाएगा.संघीय व्यवस्था को खत्म कर देगाएम. बी. राजेश ने कहा कि इससे विभिन्न राज्य विधानसभाओं और स्थानीय स्वशासी निकायों के कार्यकाल में भी कटौती का मार्ग साफ होगा. उन्होंने इसे जनादेश का उल्लंघन करार दिया. अगर यह प्रस्ताव देश में लागू होता है तो यह लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए एक चुनौती बनेगा. इसके लागू होने से चुनाव कराने में राज्य की शक्ति समाप्त हो जाएगी और केंद्र सरकार का संघीय व्यवस्था पर कब्जा हो जाएगा.उन्होंने दलील दी कि समिति लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों को एक खर्च के रूप में देख रही है, लेकिन ऐसा करना अलोकतांत्रिक है. राजेश ने कहा कि यह निंदनीय कदम है क्योंकि चुनावों के खर्च को कम करने और प्रशासन को प्रभावी बनाने के लिए अन्य सरल तरीके भी हैं.रामनाथ कोविंद पैनलएक राष्ट्र, एक चुनाव के प्रस्ताव की अनुशंसा रामनाथ कोविंद पैनल द्वारा की गई है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने पहले चरण के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने और उसके बाद अगले चरण में आम चुनाव के 100 दिनों के अंदर नगर निगम और पंचायत चुनाव कराने की प्रावधान दी है. समिति ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थीपैनल की सिफारिशों में कहा गया था कि सदन में बहुमत न होने या अविश्वास प्रस्ताव पर नई लोकसभा के गठन के लिए नए चुनाव कराए जाएंगे. जब विधानसभाओं के लिए नए चुनाव होंगे, तो नई विधानसभाएं तब तक जारी रहेंगी, जब तक उन्हें पहले ही भंग न कर दिया गया हो.
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