रांची। झारखंड इण्डिया अलायंस में सीट शेयरिंग का पेंच अभी तक फंसा हुआ है। अभी तक सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पाई है। वहीं, राजद और भाकपा माले के बगावती तेवर ने इण्डिया गठबंधन के भविष्य को लेकर भी प्रश्न खड़ा कर दिया है।हालांकि, जानकारी यह आ रही है कि गतिरोध को दूर करने में कांग्रेस पार्टी का थिंक टैंक जुटा हुआ है और कांग्रेस पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल समेत दूसरे नेता लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के संपर्क में हैं। इस बीच समाचार है कि आरजेडी और माले ने जेएमएम और कांग्रेस पार्टी को आज का अल्टीमेटम देते हुए साफ कह दिया है कि सीटों के पेंच सुलझाएं नहीं तो झारखंड में 19 से 20 सीटों पर आरजेडी चुनाव लड़ेगी। वहीं, सीपीआई माले ने भी बगोदर,निरसा, सिंदरी और राजधनवार के अतिरिक्त पांकी और जमुआ की सीटें मांगी हैं।
बता दें कि गठबंधन में राजद को देवघर, गोड्डा, हुसैनाबाद और चतरा सीट दी गई थी। वहीं, राजद सात सीट से कम में मानने को तैयार नहीं है। वहीं, राजद को अब छतरपुर सीट का ऑफर होने की समाचार है। बता दें कि जेएमएम-कांग्रेस में आपस में 70 सीटें बांट ली हैं। 81 विधानसभा सीटों में 70 पर जेएमएम-कांग्रस और शेष 11 सीटों में आरजेडी को 7 और सीपीआई माले के खाते में 4 सीटें कही जा रही हैं। लेकिन, राजद 12 सीटों से कम पर मानने के लिए तैयार नहीं है।
क्यों बिदके राजद और माले?
आरजेडी इसे गठबंधन में सम्मानजनक सीट शेयरिंग से जोड़ रहा है। गठबंधन में आरजेडी कम-से-कम 12 सीटों और माले कम-से-कम 6 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है और पीछे हटने को तैयार नहीं। वहीं, आरजेडी के बिदकने का एक और भी कारण है। दरअसल, तेजस्वी यादव रांची में थे, लेकिन आरजेडी और माले को भरोसे में लिए बगैर जेएमएम और कांग्रेस पार्टी ने सीट शेयरिंग की घोषणा कर दी थी।
हमलावर आरजेडी, मुखर हुए लेफ्ट
बता दें कि राजद और माले कांग्रेस पार्टी पर लगातार हमलावर है। इस सीपीआई एम पोलित ब्यूरो मेंबर सुभाषिनी अली ने बोला है कि कांग्रेस पार्टी अपनी क्षमताओं से अधिक सीटें मांगने की आदी रही है। कांग्रेस पार्टी को समझना होगा कि वे दिन गए।।जब कांग्रेस पार्टी के नाम पर वोट मिलते थे। अब समय बदल गया है और अब समय गठबंधन का है। गठबंधन में शामिल दलों की वजह से सफलता मिल रही है। उन्हें महाराष्ट्र या झारखंड में गठबंधन में चुनाव लड़ना चाहिए।
‘बेइज्जती’ की परंपरा पुरानी!
जानकारी के अनुसार, तेजस्वी यादव से मिलने के बावजूद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और गुलाम अहमद मीर ने प्रेस कांफ्रेंस में तेजस्वी और माले के नेताओं को नहीं बुलाया था। 2019 विधान सभा चुनाव में सीट शेयरिंग के दौरान भी तेजस्वी नाराज होकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए थे। तब भी कुछ ऐसा ही हुआ था और तत्कालीन कांग्रेस पार्टी प्रभारी आरपीएन सिंह और हेमंत सोरेन ने तेजस्वी का प्रतीक्षा करने बाद उनके 7 सीटें छोड़कर सीट शेयरिंग की घोषणा कर दी थी।
कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीट शेयरिंग की नोंक-झोंक पुरानी
बता दें कि साल 2009 लोकसभा चुनाव के दौरान लालू प्रसाद और रामविलास पासवान ने दिल्ली के एक होटल में बैठकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिया,जिस पर कांग्रेस पार्टी बिफर गई और बिहार में गठबंधन टूट गया। कांग्रेस, आरजेडी और एलजेपी के बगैर मैदान में उतरी। वहीं, साल 2020 विधान सभा चुनाव में जेएमएम 1-2 सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहती थी, लेकिन आरजेडी ने जेएमएम नेताओं को रेट नहीं दिया, जिससे जेएमएम नेताओं की नाराजगी खुलकर सामने आई थी।