Devrani Jethani Pokhara: कहानी है मऊ जनपद के मोहम्मदाबाद गोहना की दो स्त्रियों की। दोनों देवरानी और जेठानी थीं। इन दोनों ने अपने नाम के लिए घर-घर जाकर मजदूरी की, अनाज इकट्ठा किया और उसे बेचकर दो पोखरों की खुदाई करवाई। इन पोखरों का नाम उन्हीं के नाम पर ‘देवरानी पोखरी’ और ‘जेठानी पोखरी’ पड़ा। एक पोखर के किनारे संत गणिनाथ राजकीय महाविद्यालय स्थित है, तो दूसरे पोखर के पास हनुमान जी और शनिदेव का मंदिर स्थापित है। पोखरे का मतलब होता है छोटी-सी तालाब या झील।
देवरानी-जेठानी ने बनवाए पोखरे
लोकल 18 से बात करते हुए राजेश चौहान ने कहा कि इन दोनों स्त्रियों ने अपने नाम को अमर करने के लिए ये पोखर खुदवाए। पोखरों से ही इन मंदिरों का निर्माण हुआ, जहां लोग स्नान कर पूजा-पाठ किया करते थे। हालांकि, आज इस पोखर की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि लोग इसमें स्नान नहीं कर पाते हैं। कई बार समाजसेवियों द्वारा इसकी सफाई करवाई गई, लेकिन अब भी इस पोखर की स्थिति खराब है।
व्यापारी करते थे यहां स्नान
सैकड़ों साल पूर्व जब इस पोखर का निर्माण हुआ था, तब इसकी गहराई लगभग 22 फुट बताई जाती थी। लेकिन अब यह घटकर मात्र 10 से 12 फुट रह गई है। पहले व्यापारी लोग इसी पोखर में स्नान कर पूजा-पाठ करके अपने-अपने व्यापार के लिए जाते थे, जिससे उनका व्यापार फलता-फूलता था।
आजतक नहीं कर पाया कोई कब्जा
इस पोखर का एक और महत्व है कि जब भी किसी ने इस पोखरे पर कब्जा करने की प्रयास की, तो उसे परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई बार कब्जा करने की प्रयास करने वाले लोग या उनके परिवार के सदस्य किसी न किसी हादसा के शिकार हो गए। इसी कारण से इस पोखर पर आज तक कोई कब्जा नहीं कर पाया।
इस पोखर पर वर्ष में दो बार मेले का आयोजन भी होता है, जहां देवरानी और जेठानी की याद में विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते हैं। इन आयोजनों में दूर-दूर से लोग आकर प्रतिभाग करते हैं।