Mother-In-Law Day: जानिए कैसे सास-बहू बन सकती हैं अच्छी दोस्त…
Richa Srivastava October 27, 2024 08:27 PM

बॉलीवुड की फिल्मों में जब ललिता पवार, शशिकला, मनोरमा, अरुणा ईरानी और बिंदु सास बनती थीं तो दर्शकों को उनसे नफरत हो जाती थी सास को स्क्रीन पर हमेशा से विलेन दिखाया गया बहू के विरुद्ध षड्यंत्र करना, बेटे को उनके विरुद्ध भड़काना और बेचारी बहू के आंसू देख डरावनी मुस्कान देना…सास की पहचान बन गई सास भले ही खड़ूस और नेगेटिव रोल में देखी गई हो लेकिन हर सास ऐसी हो महत्वपूर्ण नहीं. हर बहू के लिए उनका साथ होना बहुत महत्वपूर्ण है 27 अक्टूबर को मदर इन लॉ डे ( Mother-In-Law Day) है  इस मौके पर जानिए कैसे सास-बहू बन सकती हैं अच्छी दोस्त 

बहू समझी जाती है पराई
सास के लिए बहू को अपनाना और बहू के लिए सास को अपनी मां मानना एक मुश्किल टास्क है अमेरिका की एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी ने सास-बहू के संबंध पर स्टडी की इसमें हजारों सास-बहू शामिल हुईं और सबने इसकी वजह ब्लड रिलेशन का ना होना बताई सास ने यह भी बोला कि वह दामाद और बहू दोनों को बाहरी आदमी समझती हैं लेकिन इस सोच के बीच बहू फंस जाती है सास वैसे बुजुर्ग होती है इसलिए उनके व्यवहार और सोच को बदलना बहुत कठिन होता है बहू और बेटा सैंडविच जनरेशन में आते हैं क्योंकि उन्हें अपने से बड़ी जनरेशन यानी अपने सास-ससुर और अपने से छोटी जनरेशन यानी अपने बच्चों की परवरिश की दोहरी जिम्मेदारी होती है बहू से हर कोई आशा करता है कि वह पूरे परिवार की जिम्मेदारी अच्छे से उठा लेगी लेकिन बहू कभी बेटी नहीं समझी जाती यदि बहू और बेटी का दुख एक जैसा हो तो बेटी के दुख को देख सास दुखी हो जाती है लेकिन जब बहू की बारी आती है तो उसकी परेशानियों को नजरअंदाज कर दिया जाता है बहू परिवार की नयी सदस्य होती है उसे सबके व्यवहार और पसंद-नापसंद नहीं पता होती खास बात यह है कि अधिकांश घरों में उसे यह कहा भी नहीं जाता हर कोई उसी नयी सदस्य से सुबह 5 बजे की चाय की आशा लगाए बैठा होता है जबकि बहू को विवाह से पहले ही सास को घर के तौर उपायों के बारे में बताना चाहिए

पावर गेम से होता टकराव
सास भी कभी बहू होती है जब वह बहू होती है तो उस पर सास हुकुम चलाती है जिस स्त्री ने उन ऑर्डर्स को माना होता है, वह भी सोचती है कि जब उसकी बहू आएगी तो वह उस पर राज करेगी सास-बहू का पावर गेम घर का संतुलन बिगाड़ देता है बहू के आने से पहले तक बेटा अपने फैसलों और रोजमर्रा के कामों में मां को शामिल करता है लेकिन जब बहू आती है तो यह पोजीशन बीवी ले लेती है कई बार सास को अपना बेटा जोरू का गुलाम लगने लगता है क्योंकि वह अपने बेटे को अपने हिसाब से कंट्रोल करना चाहती है ऐसा उन स्त्रियों के साथ अधिक होता है जिनके पति ने कभी उनकी बात ना सुनी हो, हमेशा अपनी मां की बात को ऊपर रखा हो ऐसी स्त्री जब सास बनती है तो वह अपनी बहू के लिए घातक बन सकती है सास-बहू की विवाद खाने-पीने, पहनावे, धार्मिक आस्था और लाइफस्टाइल से जुड़ी हो सकती है लेकिन यह खींचतान ज्यादातर किचन पॉलिटिक्स से ही प्रारम्भ होती है    

रिश्तों को समय देना जरूरी

रिलेशनशिप एक्सपर्ट कोमल यादव कहती हैं कि कोई भी रिश्ता एक दिन में नहीं बनता सास-बहू का रिश्ता वैसे ही बहुत नाजुक होता है विवाह के शुरुआती वर्ष एक बहू के लिए बहुत कठिन होते हैं क्योंकि उसके लिए ससुराल में हर आदमी नया होता है जिसमें उसका पति भी शामिल होता है ऐसे में सास के साथ तुरंत मधुर रिश्ता बनाना आसान नहीं है समय गुजरने के साथ लोग समझ आने लगते हैं हर संबंध को समय देना बहुत महत्वपूर्ण है और जब सास-बहू एक-दूसरे को समझने लगती हैं तो चीजें आसान होने लगती है वैसे भी समय और आदमी हमेशा कभी एक-जैसे नहीं रहते हर रिलेशनशिप सब्र रखने के साथ मजबूत बनता है

बेटे-बहू की नहीं सास-बहू की कुंडली मिलाएं   
अक्सर लोग विवाह से पहले बेटे-बहू की कुंडली मिलवाते हैं या लड़की-लड़के की मीटिंग कर उन्हें एक-दूसरे को समझने का मौका देते हैं कुछ लोग विवाह से पहले कपल थेरेपी भी लेते हैं लेकिन लड़की-लड़के की मीटिंग या कुंडली के अतिरिक्त सास की मीटिंग भी महत्वपूर्ण है इसके अतिरिक्त हर कपल्स को विवाह से पहले थेरेपी लेनी चाहिए इससे बहू बनने वाली लड़की पहले ही अपनी सास की पसंद-ना पसंद जान लेती हैं और इन सब चीजों से बहू-सास की कोल्ड वॉर भी नहीं रहती 

सास के साथ से बहू बनती सशक्त

अगर सास से अच्छा रिश्ता हो तो बहू आगे पढ़ भी सकती हैं और बढ़ भी सकती है सास-बहू का अच्छा रिश्ता दोनों को सशक्त बनाता है यदि सास बहू को सहज महसूस कराए और घर में अपनेपन का माहौल दें, तो बहू भी सास का साथ देती है बहू और सास अच्छी दोस्त भी साबित हो सकती हैं आज जो महिलाएं वर्किंग हैं और करियर में आगे बढ़ रही हैं, उनकी कामयाबी के पीछे पति ही नहीं उनकी सास भी शामिल होती हैं सास ही बहू को घर से बाहर करियर बनाने के लिए प्रेरित करती हैं क्योंकि वह जानती हैं कि आज की महिलाएं करियर के साथ घर भी अच्छे से संभाल सकती हैं सास बहू की अच्छी अंडरस्टैंडिंग से घर में शांति बनी रहती है

ऐसे जीते सास का दिल
हर बहू सास की फेवरेट बन सकती है रिलेशनशिप एक्सपर्ट कोमल यादव के अनुसार सास का दिल जीतने के लिए महत्वपूर्ण है कि वह उनकी इज्जत करें जब रिलेशनशिप में रिस्पेक्ट होती है तो हर रिश्ता मधुर बन जाता है सास से हमेशा प्यार और विनम्रता से बात करें उनके साथ समय बिताएं, उनकी पसंद की चीजें करें, उन्हें घुमाने ले जाएं सास के पॉजिटिव गुण देखें और उनसे नयी चीजें सीखने की प्रयास करें घर के कामों में उनकी सहायता करें उनसे अपने दिल की बात करें और उनके मन का हाल जानें. सास की प्रशंसा करें प्रशंसा हर किसी का दिल खुश कर देती है और बिना किसी मौके के उन्हें तोहफे भी दें चाहे सास के साथ बहस भी हो जाए, तब भी उनसे माफी जरूर मांगे उनसे वार्ता करें क्योंकि इससे हर मनमुटाव दूर होता है  

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